उत्तर प्रदेश: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा जीवन साथी का चयन, व्यक्तिगत अंतरंगता की इच्छा, दो वयस्कों के बीच मानवीय रिश्ता और प्रेम संबंधों के बीच कोई बाहरी व्यक्ति हस्तक्षेप नहीं कर सकता. कोर्ट ने कहा कि शादी शुदा निरूद्ध याची अपने पति के साथ जाने के लिए स्वतंत्र हैं. परिवार के लोगों ने भी इसपर आपत्ति नहीं की. कोर्ट ने याची पति से 40 हजार रूपये जमा कराए थे. उस रकम को याची को वापस करने का निर्देश दिया है. यह आदेश जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने संदीप कुमार और अन्य की ओर से दाखिल बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका निस्तारित करते हुए दिया है.
पत्नी को मुक्त कराने की अपील
याची ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल कर अपनी पत्नी को उसके घर वालों से मुक्त कराकर वापस दिलाने की अपील की थी. नोटिस जारी होने के बाद लड़की के परिवार वालों ने याची के खिलाफ दिल्ली के गोकुल थाने में दुष्कर्म सहित पॉक्सो की विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. जबकि,याची की पत्नी ने बयान में पति के साथ रहने की इच्छा जताई थी. इस पर कोर्ट ने कहा कि दो वयस्कों के निजी जीवन में बाहरी लोगों का हस्तक्षेप सही नहीं है.
ये है मामला
याची संदीप कुमार और साक्षी पंचाल ने आर्य समाज रीति से मंदिर में शादी की थी. लेकिन साक्षी को उसके भाई, पिता और ताऊ ज़बरदस्ती अपने साथ ले गए और बाहर जाने पर रोक लगा दी. कोर्ट के आदेश पर बागपत के बरौत थाना पुलिस ने याची साक्षी पंचाल को कोर्ट में पेश किया. एक जनवरी 21 की घटना को लेकर लड़की के परिवार ने याची पति के खिलाफ 22जुलाई 22 को एफ आई आर दर्ज करा दी. लेकिन मसला ये था कि दोनों बालिग हैं. दोनों ने 23 नवंबर 21को ही शादी का रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया था.
लड़के ने ससुरालवालों के खिलाफ दायर की याचिका
इसके बाद याची संदीप कुमार ने भी सी जे एम बागपत की अदालत में लड़की साक्षी के परिवार के खिलाफ कंप्लेंट दाखिल की. उसने लड़की के परिवार पर उसे बंधक बनाने का आरोप लगाया. जिसके बाद उसके बयान भी दर्ज हो चुके हैं.