साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण वैशाख अमावस्या के दिन यानी 20 अप्रैल को लगने जा रहा है। यह सूर्य ग्रहण संकर या हाइब्रिड किस्म का होगा, जिसका दुर्लभ नजारा आसमान में दिखेगा। यह शताब्दी में गिनी-चुनी बार ही देखने को मिलता है। क्या आप जानते हैं कि सूर्य ग्रहण कितनी तरह का होता है, अगर नहीं तो आइए हम आपको बताते हैं।
क्यों कहा जा रहा हाइब्रिड सूर्य ग्रहण?
नवादा जिला प्रखंड क्षेत्र के डीह रजौली निवासी ज्योतिषविद् पंडित वेद मूर्ति शास्त्री कहते हैं कि सूर्य ग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है। उन्होंने कहा कि यह साल का पहला हाइब्रिड सूर्य ग्रहण है। हालांकि, यह ग्रहण पूरे भारत में नजर नहीं आएगा, इसलिए बिहार में भी नहीं दिखेगा।
वैशाख अमावस्या पर इस बार एक ही दिन में तीन सूर्य ग्रहण दिखेंगे, जिसे वैज्ञानिकों ने हाईब्रिड सूर्य ग्रहण का नाम दिया है। यानी कि यह सूर्य ग्रहण अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रूप में दिखाई देगा। कुछ जगहों पर पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखेगा तो कुछ जगहों पर आंशिक सूर्य ग्रहण तो वहीं कुछ जगहों पर कंकणाकृति सूर्य ग्रहण के रूप में नजर आएगा।
कितनी तरह का होता है सूर्य ग्रहण
आपको बता दें कि सूर्य ग्रहण कई तरह का होता है। पहला- पूर्ण सूर्य ग्रहण। इसे खग्रास सूर्य ग्रहण कहा जाता है। दूसरा- आंशिक सूर्य ग्रहण, जिसे खंडग्रास सूर्य ग्रहण कहते हैं। तीसरा- कंकणाकृति सूर्य ग्रहण। इस दिन कंकड़ की तरह ग्रहण दिखता है। चौथा- संकरित सूर्य ग्रहण, जिसे विज्ञान की भाषा में हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहा जाता है। 20 अप्रैल को यही सूर्य ग्रहण लगने वाला है।
सभी राशियों के लिए रहेगा अशुभ!
यह सूर्य ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में लगने जा रहा है। यह मेष राशि में 19 साल बाद लगने जा रहा है। लगभग सभी राशियों के जातक के लिए यह सूर्य ग्रहण अशुभ ही रहने वाला है।