बेटा नहीं होने पर कौन कर सकता है पितरों का श्राद्ध, शास्त्रों में पत्नी और दामाद को भी अधिकार

गया : पितरों की आत्मा की शांति और श्राद्ध करने के लिए पुत्र का स्थान पहले आता है. पुत्र ही श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण विधि करने का अधिकारी माना गया है. लेकिन अगर किन्ही का कोई पुत्र नहीं है तो फिर कौन गया में श्राद्ध कर सकता है. श्राद्ध करने का अधिकार किसे दिया गया है, इस पर विशेष जानकारी गया विष्णुपद वैदिक मंत्रालय पाठशाला के पंडित राजा आचार्य ने दी.28 सितंबर से पितृपक्ष यानी पूर्वजों का पक्ष शुरू हो रहा है.पितृपक्ष मास के दिनों में पितरों को याद कर पिंडदान और तर्पण विधि की जाती है. मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितर पृथ्वी लोक पर अपने परिजनों के यहां आते हैं. परिजन पितरों का सम्मान करते हुए श्राद्ध कर्म और तर्पण विधि करते हैं. पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने से पितृ ऋण भी चुकता होता है.

Pitru Paksha 2022 Dates: पितृपक्ष 2022 में कब से आरंभ होंगे? - News Mugपंडित राजा आचार्य के अनुसार घर के मुखिया या प्रथम पुरुष अपने पितरों का श्राद्ध कर सकता है. अगर मुखिया नहीं है, तो घर का कोई अन्य पुरुष अपने पितरों को जल चढ़ा सकता है. इसके अलावा पुत्र और नाती भी तर्पण कर सकता है. पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए. अगर पुत्र न हो, तो पत्नी श्राद्ध कर सकती है. अगर पत्नी नहीं है, तो सगा भाई और उसके भी अभाव में संपिंडों को श्राद्ध करना चाहिए.
Pitru Paksha 2019 Wife Can Also Will Do Husbands Shraddh Know How To Cook Shradh Food- Pitru Paksha 2019: पुत्र न हो तो पत्नी भी कर सकती है श्राद्ध भोजन में इन

यह सब कर सकते हैं श्राद्ध
अगर एक से अधिक पुत्र है, तो सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है, लेकिन इसमे सभी भाइयों की सहभागिता होनी चाहिए. पुत्री का पति और पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी हैं. पुत्र के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं. अगर किसी व्यक्ति के पुत्र, पौत्र या प्रपौत्र न हो तो उसकी विधवा स्त्री श्राद्ध कर सकती है. अगर किसी व्यक्ति का वंश समाप्त हो गया हो तो उसकी पुत्री का पति एवं पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी हैं.