बिहार : बिहार में पिछले कुछ महीनों से मिलन समारोहों का सिलसिला चल रहा। कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के दफ्तरों में जितना मिलन समारोह हुआ होगा, उससे ज्यादा जनता दल यूनाईटेड (JDU) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) में जरूर हुआ है। लेकिन, इस बार बाजी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथी-विरोधी-साथी और अब धुर विरोधी उपेंद्र कुशवाहा मारते नजर आ रहे हैं। उन्होंने नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के प्रमुख अल्पसंख्यक चेहरे को अपने साथ कर लिया है। कुशवाहा ने जदयू सांसद और नीतीश सरकार में मंत्री रह चुके मोनाजिर हसन को अपने साथ कर लिया है। यह राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के लिए भी झटका है।
जदयू में घुटन मससूस कर रहे थे मोनाजीर हसन
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मंत्री रहने के बाद जदयू की ओर से ही चुनाव लड़कर सांसद बने डॉ. मोनाजिर हसन बेगूसराय से लेकर मुंगेर तक पार्टी के लिए बड़ा नाम थे। बेगूसराय सीट पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के पास थी और मुंगेर से ललन सिंह चुनाव लड़ रहे थे इसलिए, मोनाजीर हसन जदयू में एक तरह से किनारे पड़ गए थे। इसी साल मई के अंत में जदयू की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए हसन ने कहा था कि वह पार्टी में घुटन महसूस कर रहे थे। उन्होंने तभी, उपेंद्र कुशवाहा की तरह कहा था कि पार्टी में 90% नेता-कार्यकर्ता घुटन महसूस कर रहे हैं। उन्होंने जदयू छोड़ने के 113 दिन बाद सोमवार को उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल (RLJD) की सदस्यता ग्रहण की।

राजद या जदयू में मुसलमानों के लिए कोई जगह नहीं बची
कुशवाहा की पार्टी में शामिल होने के समय मोनाजिर हसन ने कहा कि उन्होंने अपनी क्षेत्र की जनता और अपने समाज की इच्छा के लिए यह फैसला लिया है। जादू छोड़ते समय मुनाजिर ने कहा था यह जनता दल यूनाइटेड अपने मूल सिद्धांतों से भटक कर चंद स्वार्थी लोगों के कब्जे में है। तब उन्होंने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर भी हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि राजद या जदयू में मुसलमानों के लिए कोई जगह नहीं बची है। न तो उन्हें मंच पर जगह दी जा रही है और न ही सरकार या संगठन में मौका मिल रहा है।
4 माह पहले छोड़ दिया था जदयू का साथ
चार महीना पहले जब पूर्व सांसद मोनाजिर हसन ने जदयू की सदस्यता से इस्तीफा दिया था तो उस समय उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि ललन सिंह किसी का फोन नहीं उठाते हैं। कार्यकर्ताओं को लेकर उनकी गर्दन हमेशा टेढ़ी ही रही है। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार एक अच्छे नेता हैं लेकिन कुछ लोग उन्हें रास्ते से भटका रहे हैं। वह रास्ता भटक भी गए हैं। पार्टी से बड़े-बड़े नेताओं ने किनारा कर लिया।
मोनाजिर हसन 1997 में पहली बार विधायक बने
बता दें कि जनता दल से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले मोनाजिर हसन 1997 में पहली बार विधायक बने थे। साल 2000 में राजद से वह विधायक चुने गए थे। 2004 में उन्होंने राजद का साथ छोड़ दिया। इसके बाद जदयू की सदस्यता ग्रहन की। 2004 में विधायक बने। फिर 2005 में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में विधायक चुने गए थे। चार बार उन्हें मुंगेर की जनता ने चुना। इसके बाद नीतीश सरकार ने उन्हें बिहार सरकार में भवन निर्माण विभाग और कला संस्कृति विभाग के मंत्री की जिम्मेदारी भी सौंपी। साल 2009 से 2014 तक बेगूसराय से जदयू के सांसद बने। 2014 में यह सीट भाजपा कोटे में चली गई।