एनआईओएस के डीएलएड कार्यक्रम के समय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में स्कूल शिक्षा सचिव रहे आईएएस अधिकारी अनिल स्वरूप ने इस मुद्दे पर हिन्दुस्तान से बातचीत में कहा कि अब मैं सरकार से बाहर हूं, इसलिए मेरा इस मुद्दे पर टिप्पणी करना ठीक नहीं रहेगा। फिर भी मेरा मानना है कि यह कोर्स मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कहने पर शुरू किया गया था, इसलिए यह कोर्स शिक्षक भर्ती की जरूरी शर्तों को पूरा करने के योग्य है।
’ एचआरडी मंत्रालय के पूर्व अधिकारियों ने एनसीटीई के फैसले पर उठाए सवाल
’ कोर्स करने वाले 13 लाख शिक्षकों के भविष्य पर लटकी तलवार
एक अधिकारी ने कहा कि पूरे कार्यक्रम के दौरान इस बात जिक्र तो किया गया था कि यह सेवारत शिक्षकों के लिए है, लेकिन इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया था कि इस कोर्स को करने के बाद शिक्षक दूसरे स्कूलों में आवेदन नहीं कर पाएंगे। अधिकारी ने कहा कि यह एनसीटीई की गलती है।
कोर्स को अमान्य बताया
हाल ही में बिहार के निजी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों ने जब सरकारी भर्ती के लिए आवेदन किया तो बिहार सरकार ने एनआईओएस के डीएलएड के बारे में राय मांगी कि क्या यह योग्यता शिक्षक भर्ती के लिए अर्ह है? इसके जवाब में एनसीटीई ने 18 महीने के डीएलएड कार्यक्रम को अमान्य करार दे दिया। इससे 13 लाख शिक्षकों के भविष्य पर तलवार लटक गई है।
18 महीने का कोर्स
डीएलएड कोर्स 18 महीने का है। यह उन 15 लाख शिक्षकों के लिए था, जो अप्रशिक्षित थे और शिक्षा के अधिकार कानून के चलते उनकी नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा था। एनआईओएस ने करीब 13 लाख शिक्षकों को यह कोर्स कराया था।