RTI में हुआ खु’लासा, सरकारी उपक्रमों के करीब आधे स्वतं’त्र डाय’रेक्टरों का भाजपा से नाता

NEW DELHI : भारत की पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSU) कंपनियों को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. एक RTI के जवाब और इंडियन एक्सप्रेस अखबार की पड़ताल से पता चला है कि 98 सेंट्रल पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग कंपनियों के 172 इंडिपेंडेंट डायरेक्टरों में से 86 किसी न किसी तरीके से बीजेपी से जुड़े हुए हैं. ये 86 स्वतंत्र डायरेक्टर 67 पीएसयू के बोर्ड में हैं. अखबार ने 146 सेंट्रल पीएसयू की पड़ताल करके रिपोर्ट प्रकाशित की है.

सुधार की चर्चा के बीच बड़ा खुलासा

इंडिपेंडेट डायरेक्टरों को लेकर सुधार पर प्रस्तावित चर्चा के बीच यह खुलासा हैरान करता है. दो साल पहले 2019 में सेंट्रल गवर्नमेंट के एक थिंक टैंक इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स (IICA) ने साफ कहा था कि

“पीएसयू में इंडिपेंडेट डायरेक्टरों का चयन अब स्वतंत्र नहीं रहा है. किसी एक्सपर्ट की बजाय ये पद आईएएस रह चुके अधिकारियों या करीबी राजनीतिक दल के लोगों को दिए जा रहे हैं. इसकी वजह से इस पद के मायने ही खत्म हो गए हैं.”

  SAIL share price: Buy SAIL, target price Rs 85: Edelweiss - The Economic  Times शेयर मार्केट रेगुलेटर सिक्युरिटीज और एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) 29 जून को इंडिपेंडेंट डायरेक्टरों के मामले में सुधार पर चर्चा करने वाला है. उनकी नियुक्ति, बोर्ड में उनके रोल को लेकर भी विचार-विमर्श होगा. अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने एक RTI के हवाले से यह खुलासा किया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के तमाम उपक्रमों में सत्ताधारी दल बीजेपी के लोग काबिज़ हैं. इनमें भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल), इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड, गैस अथॉरिटी इंडिया लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं. इनके इंडिपेंडेट डायरेक्टरों के पद पर काबिज लोग बीजेपी से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं. इनमें से कई ने बाकायदा अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर इसका खुलासा भी किया है. Gail to list Gail Gas, plans ₹54,000 crore capex in 2-3 years

कौन कहां इंडिपेंडेंट डायरेक्टर है?

इंडियन एक्सप्रेस ने बड़ी पीएसयू समेत महारत्नों ( 25 हजार करोड़ से ज्यादा सालाना टर्न ओवर वाले पीएसयू) के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर से बात की. अखबार ने ऐसे 86 लोगों से संपर्क साधा. इनमें से 81 ने बात की. इनमें मनीष कपूर यूपी बीजेपी के डिप्टी ट्रेजरार हैं. राजेश शर्मा बीजेपी सीए सेल के पूर्व नेशनल कन्वीनर हैं. राज कमल बिंदल 1996 से बीजेपी से जुड़े हैं. ये सभी भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स के स्वतंत्र निदेशकों की फेहरिस्त में शामिल हैं. गेल (GAIL) में बंतो देवी कटारिया बतौर इंडिपेंडेंट डायरेक्टर हैं. वो केंद्रीय मंत्री रतन लाल कटारिया की पत्नी हैं. कटारिया हरियाणा के अंबाला से सांसद चुने गए थे. पावर ग्रिड कॉरपोरेशन में एआर महालक्ष्मी काबिज हैं. वो तमिलनाडु बीजेपी की उपाध्यक्ष हैं. Government set Indian Oil Corporation share sale floor at Rs 387 | India  News – India TV इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) की बात की जाए तो इसके इंडिपेंडेंट डायरेक्टरों में राजेंद्र अरलेकर गोवा असेंबली के पूर्व स्पीकर हैं. लता उसेंदी छत्तीसगढ़ बीजेपी की उपाध्यक्ष हैं. वो एमएलए और मंत्री भी रह चुकी हैं. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) में एन शंकरप्पा कर्नाटक बीजेपी के स्टेट एग्जीक्यूटिव मेंबर हैं. हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HP) में जी राजेंद्रन पिल्लई केरल बीजेपी के स्टेट एग्जीक्यूटिव मेंबर हैं. कुल मिलाकर पूरी लिस्ट देखें तो बीजेपी के उन तमाम नेताओं को रेवड़ी बांटी गई हैं, जो चुनाव में फेल हो गए या फिर जिनकी किसी बड़े नेता के साथ नजदीकी है. अखबार के सवालों के जवाब में कई बीजेपी नेताओं ने यह भी कहा कि वह इस पद के लिए क्वालिफाइड हैं, और किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है.

पीएम मोदी भी कर चुके हैं सुधार की बात

गौरतलब है कि पीएम मोदी ने भी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में विनिवेश की बात कही है. उन्होंने 24 फरवरी 2021 को कहा था कि बीमार पीएसयू को वित्‍तीय मदद देने से अर्थव्‍यवस्‍था पर बोझ बढ़ता है. पुरानी परंपरा के आधार पर पीएसयू को बनाए रखना उचित नहीं है. सरकार के पास कई ऐसी संपत्तियां हैं, जिसका पूर्ण रूप से उपयोग नहीं हुआ है या बेकार पड़ी हुई हैं. 100 परिसंपत्तियों को बाजार में चढ़ाकर 2.5 लाख करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे. पीएम का कहना था कि प्राइवेटाइजेशन, संपत्ति को बेचकर जो पैसा आएगा, उसे जनता पर खर्च किया जाएगा. लेकिन सरकार के पास इस बात का जवाब नहीं है कि इनकी हालत सुधारने को सही कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे. लेकिन RTI से हुए नए खुलासे से एक बात तो साफ है कि इंडिपेंडेंट डायरेक्टरों का चयन जिस तरह से किया जा रहा है, उससे यह नहीं लगता कि सरकार पीएसयू को लेकर संजीदा है.

INPUT : The Lallan Top