NEW DELHI : लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरे राफेल सौदे को लेकर एक बार फिर चर्चा जोरों पर है. फ्रांस सरकार, भारत के साथ करीब 59 हजार करोड़ रुपये के राफेल सौदे में कथित भ्रष्टाचार की न्यायिक जांच को तैयार हो गई है. इस जांच के लिए एक फ्रांसीसी जज को भी नियुक्त कर लिया गया है. फ्रांसीसी मीडिया जर्नल मेडियापार्ट की रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर राफेल की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.
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कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने फ्रांस में राफेल की जांच की शुरुआत के बाद भारत में भी राफेल सौदे में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच की मांग दोहराई है. सुरजेवाला ने कहा, फ्रांस में राफेल सौदे के लिए जज की नियुक्ति हुई है. फ्रांस में मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रथम दृष्टया राफेल सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है. फ्रांस में भ्रष्टाचार पर जांच शुरू हुई है् पूर्व राष्ट्रपति फ़्रांस्वा हॉलैंड, मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो की भूमिका की भी जांच होगी. कांग्रेस राफेल पर जेपीसी जांच की मांग करती है. फ्रांसीसी मीडिया जर्नल मेडियापार्ट की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016 में दोनों देशों के बीच हुई हुए राफेल सौदे की जांच औपचारिक तौर पर 14 जून से शुरू हो गई थी. बता दें कि फ्रांसीसी वेबसाइट ने अप्रैल 2021 में राफेल सौदे के कथित अनियमितताओं को लेकर कई रिपोर्ट प्रकाशित की थी.
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बता दें कि राफेल सौदे के दौरान फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने डील पर हस्ताक्षर किए थे और वर्तमान फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन उस समय वित्त मंत्री थे. इन दोनों ही नेताओं से सौदे से जुड़े सवाल किए जाएंगे. तत्कालीन रक्षा मंत्री और अब फ्रांस के विदेशी मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियान से भी जुड़ी चीजों को लेकर पूछताछ हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट राफेल जांच की पुनर्विचार याचिकाओं को कर चुका है खारिज
नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील मामले में मोदी सरकार को बड़ी राहत दी थी. उस वक्त मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राफेल मामले में दायर सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने 14 राफेल लड़ाकू विमान के सौदे को वैध मानते हुए 14 दिसंबर, 2018 के अपने फैसले को बरकरार रखा था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचियों की ओर से पेश की गईं सौदे की प्रक्रिया में गड़बड़ी की दलीलों को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘हमें नहीं लगता कि मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की कोई जरूरत है.’










