मुजफ्फरपुर में ‘जिले के मालिक’ की कोई नहीं सुनता !

चौचक चर्चा !

बोलेंगे तो कहिएगा कि बोलता है. ई हम नहीं बोल रहे हैं. जिले के मालिक की बात-बात पर होने वाली बैठक बता रही है कि बाबू उनकी नहीं सुनते हैं. भला कोरोना काल में महामारी को लेकर लापरवाही कैसे जारी रह सकती है. जिले के मालिक ने बाहर से मुजफ्फरपुर आने वाले लोगों का सही तरीके से कोरोना जांच नहीं होने पर नाराजगी जताई है. जिले के मालिक ने इस लापरवाही पर त्वरित एक्शन लेते हुए बैठक बुलाई और संबंधित अधिकारियों को फटकार भी लगाई, लेकिन क्या वे इतने से सुधरने वाले हैं. उन्होंने तो कसम खाई है कि हम नहीं सुधरेंगे.

शहर में पूरे देश के अन्य राज्यों महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक, पंजाब जैसे राज्यों से लोग धड़ाधड़ आ रहे हैं. कोरोना की महामारी इन राज्यों में दोबारा पांव पसार रही है. ट्रेन के माध्यम से आने वाले यात्रियों की स्थिति कुछ ऐसी है कि कौन आया कौन गया किसी को कुछ खबर नहीं. गुस्साए जिले के मालिक ने रेल एसपी, आरपीएफ कमांडेंट, सिविल सर्जन को बैठक में बुलाया. उधर रेलवे स्टेशन के जायजा लेने का काम भी शुरू है.

उधर, सदर अस्पताल के मालिक अलगे राग अलाप रहे हैं. उनका कहना है कि व्यवस्था टंच है. चिंता करने की कोई बात नहीं है. ट्रेनों के यात्रियों की जांच के लिए जंक्शन पर पांच काउंटर 24 घंटे कार्यरत हैं. एएनएम, डाटा एंट्री ऑपरेटर और टेक्नीशियन की प्रतिनियुक्ति की गई है. सभी केंद्र पर 24 घंटे जांच की जा रही है. अब सदर अस्पताल के मालिक को कौन समझाए कि जिले के मालिक को कुछ कमी लगी, तबही तो बैठक किए हैं.