शाबाश! #BHAGALPUR की बबीता देवी 12 सालों से निस्वार्थ कर रही अ’नाथ बच्चो की देखभाल

#BHAGALPUR #BIHAR #INDIA ; नवरात्रि में मां के नौ रूपों की पूजा हो रही है। मां यानी ममता, त्याग और समर्पण। एक मां बबीता देवी भी है। सिर्फ अपने बच्चों की नहीं, उन बच्चों की भी जिन्हें मां-बाप त्याग चुके हैं। पति की मृ’त्यु हो चुकी है। दो बच्चे भी हैं। पर बबीता ने नाथनगर स्थित अनाथालय में बच्चों को पाल पोष कर दूसरों की गोद भर रही हैं। उन्होंने जिन बच्चों को पाला, उनमें कई को लोग गोद ले चुके हैं।

लगातार बच्चों की सेवा कर रही हैं
दो साल पहले दो बच्चियों को गोद लिया गया जिनमें एक मॉरीशस और एक जापान में है। बबीता ने बताया कि वह एक बार अनाथालय गयी थीं। वहां अनाथ बच्चों को देख उनके मन में ममता जगी। कुछ देर तक उन बच्चों को प्यार दुलार किया और जब वापस जाने लगीं तो एक बच्चे ने उनकी अंगुली पकड़ ली। उसी पल बबीता ने सोच लिया कि वह रोजाना बच्चों की देखभाल के लिए अनाथालय आया करेंगी। तभी से वह लगातार बच्चों की सेवा कर रही हैं।

बच्चों के प्रति सेवाभाव में कभी कमी नहीं आयी
बबीता 12 सालों से अनाथालय में बच्चों की देखभाल कर रही हैं। उनका कहना है कि अनाथालय के बच्चों और अपने बच्चों में कभी फर्क नहीं किया। वहां के बच्चों का भी उसी तरह ध्यान रखती हैं, जैसे अपने बच्चों का। घरेलू परेशानियों को पीछे छोड़ वह सेवा में लगी रहती हैं। पति के नहीं रहने से परेशानी तो हुई पर बबीता में बच्चों के प्रति सेवाभाव में कभी कमी नहीं आयी।

अपने बच्चों को छोड़ अनाथ बच्ची के लिए अस्पताल में रही
अनाथालय की संचालिका अनुश्री ने बबीता के बारे में बताया कि एक अनाथ बच्ची मिली थी, जिसका मल द्वार बंद था। पटना में आईजीएमएस में उस बच्ची का ऑपरेशन होना था। बबीता अपने दोनों बच्चों को अनाथालय में छोड़ उस अनाथ बच्ची के साथ पटना स्थित उस अस्पताल में एक महीने तक रहीं। वह बच्ची ठीक हो गयी और बाद में उसको मॉरीशस की सिंगल मदर ने गोद ले लिया। इसी तरह एक और अनाथ बच्ची को उसके अपने खेत में फेंक गये थे। बच्ची को गंभीर चोट आयी थी। उसका मायागंज में 15 दिनों तक इलाज हुआ। उस दौरान भी बबीता ही उसके साथ रही। उस बच्ची को दिल्ली स्थित एडॉप्शन सेंटर भेजा गया, जहां से जापान के दंपती ने उसे गोद ले लिया। वह बच्ची अभी जापान में है।

बबीता देवी ने बताया कि अनाथ बच्चों की सेवा से बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं। जिन बच्चों को उसकी मां ने छोड़ दिया, उन बच्चों को मां का थोड़ा भी प्यार देकर खुशी मिलती है।

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