बिहार में बाढ़ :गंगा नदी के जलस्‍तर में अप्रत्‍याशित वृद्धि, तेज कटाव से सहमे लोग

बेगूसराय : जीवनदायिनी कही जाने वाली गंगा जब रौद्र रूप में आती है तो बड़ा संकट भी पैदा कर देती है. बारिश के समय में गंगा नदी विकराल रूप धारण कर लेती है, जिससे आसपास के इलाके बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं. स्थानीय स्तर पर प्रशासन एवं सरकार की बेरुखी की वजह से स्थिति और भी गंभीर हो जाती है. पिछले 4-5 दिनों से गंगा के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज की जा रही है. बेगूसराय जिले में कई ऐसे जगह हैं, कटाव को लेकर संवेदनशील हैं. समय रहते स्थानीय स्तर पर प्रशासन द्वारा कटाव निरोधी कार्य न किए जाने से परिस्थितियां डरावनी हो जाती हैं. मटिहानी प्रखंड के नयागांव में कुछ ऐसे ही हालात पैदा हो गए हैं, जहां गंगा के कटाव ने विकराल रूप ले चुका है. हालांकि, जिला प्रशासन के द्वारा निरोधी कार्य जरूर किए जा रहे हैं.

गंगा नदी के जलस्‍तर में अप्रत्‍याशित वृद्धि और कटाव शुरू होने से स्‍थानीय लोगों में दहशत है. (न्‍यूज 18 हिन्‍दी)

दरअसल, मटिहानी प्रखंड का नयागांव पूर्व से ही बाढ़ एवं कटाव प्रभावित क्षेत्र रहा है. लोगों द्वारा लगातार जिला प्रशासन एवं सरकार से गुहार लगाई गई, तब जाकर कहीं सरकार की नजरें इनायत इस ओर हुई और कटाव निरोधी कार्य शुरू किया गया. स्‍थानीय लोग बताते हैं कि गंगा के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि शुरू हो गई, तब स्थानीय प्रशासन की आंख खुली है और युद्धस्तर पर कटाव निरोधी कार्य किए जा रहे हैं. स्थानीय निवासी नीरज कुमार बताते हैं कि समय रहते अगर इस दिशा में उपयुक्त कदम उठाया जातो तब कटाव पर नियंत्रण पाया जा सकता था.

प्रशासन द्वारा समय रहते नियंत्रण का दावा किया जा रहा है. जल संसाधन विभाग के एसडीओ सनी कुमार सिंह का दावा है कि समय रहते काम किया गया था, लेकिन जब गंगा के जलस्तर में वृद्धि शुरू हुई तो कार्यस्थल से 100 मीटर की दूरी पर गंगा ने एक बार फिर कटाव शुरू कर दिया. इसके लिए युद्धस्तर पर कटाव निरोधी कार्य किए जा रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि समय रहते कटाव पर नियंत्रण पा लिया जाएगा.

अब देखने वाली बात होगी कि सरकारी दावों में कितना दम है, क्योंकि गंगा जिस तरह से रौद्र रूप दिखा रही है उससे ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है कि समय रहते कटाव पर नियंत्रण पा लिया जाएगा. दूसरी तरफ अगर कटाव की स्थिति बनी रही तो गुप्ता बांध पर खतरा निश्चित है और उस स्थिति में व्‍यापक पैमाने पर नुकसान होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है.

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