20 हजार कांवरियों ने किया बाबा गरीबनाथ पर जलाभिषेक:अंतिम सोमवारी पर कम रही भक्तों की भीड़

मुजफ्फरपुर। दो साल तक उत्तर बिहार का देवघर कहे जाने वाले मुजफ्फरपुर स्थित बाबा गरीबनाथ मंदिर में भक्तों ने कोरोना महामारी के कारण जलाभिषेक नहीं किया। इस बार भक्तों के लिए बाबा के पट खुले हुए हैं। अंतिम सोमवारी को पहलेजा घाट से जल लेकर भक्तों ने बाबा पर जलाभिषेक की और मनोकामना मांगी।

बोलबम और हर हर महादेव के नारे से बाबा नगरी गूंज उठी। बाबा गरीबनाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर ही अरघा लगाया गया है। इसी अरघे में जल डालना होता है। जल अरघा से होते हुए बाबा के गर्भगृह में पहुंच जाता है। भक्त इसका दृश्य बाहर में लगे मॉनिटर पर देख सकते हैं। मंदिर के प्रधान पुजारी पंडित विनय पाठक ने बताया कि अंतिम सोमवारी पर भीड़ कम रही।

करीब 20 हजार भक्तों ने जलाभिषेक किया है। इसके बाद सुबह से स्थानीय श्रद्धालु जलाभिषेक करने आएंगे। उन्होंने स्थानीय भक्तों से अपील करते हुए कहा कि वे नौ बजे के बाद बाबा को जल चढ़ाने आएं। पूरे दिन जलाभिषेक होगा। तबतक कांवरियों की भीड़ भी समाप्त हो जाएगी।

हर बार की तरह इस बार भी प्रशासन मुस्तैद रही। DM प्रणव कुमार खुद जायजा लेने पहुंचे। सुरक्षा और सफाई व्यवस्था का जायजा लिया। मंदिर प्रशासन और पुलिस प्रशासन की तरफ से ठोस इंतजाम किए गए हैं। कांवरिया पुरानी बाजार से ही बैरिकेडिंग के अंदर लाइन लगकर बाबा के दरबार तक पहुंचे। बैरिकेडिंग के बाहर सेवा दल के सदस्य और पुलिस जवान तैनात रहेंगे। DM प्रणव कुमार ने बताया कि प्रशासन और पुलिस कांवरियों की सुरक्षा और सेवा को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सकरी मोड़ से लेकर मंदिर तक कांवरियों की सेवा में जुटी है। शांतिपूर्ण तरीके से जलाभिषेक हुआ है।

दो साल बाद बाबा पर जलाभिषेक करने का मौका मिलने से भक्तों में भी खुशी की लहर देखने को मिली। भक्त करीब 95 किलोमीटर पैदल चलकर बाबा नगरी तक पहुंचे। भक्तों ने कहा कि बाबा की शक्ति और उनकी श्रद्धा के आगे कुछ भी नहीं है। चाहे कितनी भी बाधाएं आ जाएं। कोई फर्क नहीं पड़ता है। बच्चे बूढ़े महिलाएं सब बाबा की भक्ति में मग्न दिखे। नाचते गाते बाबा के द्वार पहुंचे और जलाभिषेक किया।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from Muzaffarpur News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading