बिहार के मुजफ्फरपुर के चतुर्भुज स्थान स्थित भगवान श्रीचतुर्भुज नारायण मंदिर में अन्नकूट महोत्सव का विशेष आयोजन होता है. मंदिर के महंत नवल किशोर मिश्र बताते हैं की द्वापर युग से ही अन्नकूट महोत्सव मनाने की परंपरा है. द्वापर में पहले गोकुल वासी भगवान इंद्र की पूजा करते थे, बाद में भगवान श्री कृष्ण के कहने पर गोकुल वासियों ने इंद्र की पूजा करना छोड़ दिया. वह भगवान गोवर्धन की पूजा करने लगे इससे कुपित होकर भगवान इंद्र ने मूसलाधार बारिश की तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत को 7 दिन तक उठाए रखा.
जिस गोवर्धन पर्वत के नीचे गोकुल वासी आश्रय लेकर इंद्र के प्रकोप से अपनी रक्षा कर पाए. तब से आज तक कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा अन्नकूट महोत्सव मनाने का प्रावधान है. गोकुल वासी पहले इंद्र को छप्पन प्रकार का पकवान भोग लगाते थे. इस प्रसंग के बाद भगवान श्रीहरि कृष्ण को 56 भोग लगाने लगे. महंत नवल किशोर मिश्र बताते हैं, इसी पुण्य काल की स्मृति में भगवान श्री चतुर्भुज नारायण का मुजफ्फरपुर स्थित यह पौराणिक मंदिर हर वर्ष अन्नकूट महोत्सव मनाता है. इस वर्ष का महोत्सव 26 अक्टूबर की संध्या में मुजफ्फरपुर के चतुर्भुज स्थान रोड स्थित भगवान श्री चतुर्भुज के मंदिर में मनाया जाएगा.
जानिए चतुर्भुज नारायण मंदिर में कार्यक्रम को लेकर क्या है तैयारी
चतुर्भुज नारायण मंदिर से जुड़े आचार्य राघवेंद्र मिश्र बताते हैं की मुजफ्फरपुर में हमारे इस मंदिर का अन्नकूट महोत्सव प्रसिद्ध है. इस महोत्सव की तैयारी हमने सप्ताह दिन पहले से शुरू कर दी है. इस 26 अक्टूबर की संध्या में कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के अवसर पर भगवान श्री चतुर्भुज अर्थात चार भुजा वाले विष्णु को छप्पन प्रकार के व्यंजन अर्पित किए जाएंगे. इस छप्पन प्रकार के व्यंजन में मेवा, मिष्ठान, ऋतु फल, सब्जियां, चावल, दाल, दही, कई प्रकार की चटनियां, घेवर, खीर, पूरी, रबड़ी, अचार, मक्खन, लस्सी, मोहन भोग और तांबूल जैसी छप्पन सामग्रियां होंगी. आचार्य राघवेंद्र मिश्र बताते हैं, इस अवसर पर वैदिक रीति रिवाज से भगवान श्री हरि के चतुर्भुज नारायण स्वरूप का पूजा-पाठ होगा. पूजन पश्चात भगवान श्री चतुर्भुज नारायण का महाश्रृंगार किया जाएगा. महाश्रृंगार के बाद भगवान श्री चतुर्भुज नारायण को भोग अर्पित कर भगवान की आरती की जाएगी.
मंदिर में अन्नकूट महोत्सव मनाने की परंपरा शदियों से
पूर्व में इस मंदिर के महंत रहे मेरे नानाजी समेत 14 पूजनीय महंथ ने इस परंपरा को जारी रखा है. वर्तमान समय में इस विशेष कृपा वाली चतुर्भुज नारायण मंदिर का प्रधान महंथ होने के नाते इस अन्नकूट महोत्सव की परंपरा को विशाल रूप देने का मेरा प्रयास रहता है. प्रभु कृपा से हर वर्ष अन्नकूट महोत्सव के अवसर पर पूरे मुजफ्फरपुर के कोने-कोने से श्रद्धालु इस अवसर का हिस्सा बनते हैं और इस दिन भगवान श्री चतुर्भुज नारायण की पूजा कर अन्नकूट महोत्सव का महाप्रसाद ग्रहण करते हैं. अन्नकूट महोत्सव के दिन हमें दुखी नहीं रहना चाहिए.
अन्नकूट महोत्सव के दिन श्रद्धालुओं को खुश रहना आवश्यक है
कहा जाता है की इस दिन खुश रहने से जीवन भर खुशियां रहती है. अन्नकूट महोत्सव के दिन हमें दुखी नहीं रहना चाहिए. इसके पीछे एक कहानी है. आचार्य राघवेंद्र मिश्र बताते हैं कि भगवान इंद्र अपने आप को ब्रज मंडल का देवता मानते और बृजवासी भगवान इंद्र का ही पूजा करते आ रहे थे. जब बृजवासी पर भगवान इंद्र ने कुपित होकर उन पर मूसलाधार बरसात शुरू कर दी, तब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन को अपनी छोटी उंगली उठा लिया. सारे ब्रजवासी उसी गोवर्धन पर्वत के नीचे आ गए. तब से कृष्ण को अपना देवता मानने लगे. गोवर्धन पर्वत के नीचे सबने खुशी मनाई और भगवान कृष्ण को छप्पन भोग लगाकर उत्सव मनाया. प्रभु श्री हरी में आस्था रखने वाले सभी लोग को इस दिन खुश रहना चाहिए. इस महोत्सव के दिन खुश होकर भगवान की आराधना कर भगवान श्री हरि से सुख समृद्धि की कामना करें.


