153 साल में पहली बार बंद हुए पट, पर इस मंदिर में क्यों नहीं पड़ा सूतक का असर?

मुंगेर. ज़िले में स्थित डेढ़ सौ साल पुराने मंदिर के पट पहली बार कल मंगलवार को सूर्य ग्रहण के कारण बंद हुए, तो पूरे ज़िले में इस मंदिर को लेकर चर्चा बनी रही. संग्रामपुर प्रखंड क्षेत्र के बढ़ोनिया गांव की एक विशेष पहचान यह मंदिर है. ऐतिहासिक काली मंदिर आसपास के दर्जनों गांव के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है. सन 1869 ईस्वी में बने इस मंदिर में तांत्रिक विधि से पूजा अर्चना होती है. यहां दीवाली में माता काली की भव्य प्रतिमा बनाई जाती है. काली पूजा से तीन दिनों तक प्रतिमा की पूजा होती है. 153 साल में पहली बार हुआ कि इस मंदिर के पट 1 घण्टा 51 मिनट के लिए बंद हो गए.मंदिर के पुजारी विश्वनाथ झा ने सूर्यग्रहण को लेकर कुछ रोचक बातें बताई. उन्होंने कहा बढ़ोनिया की काली माता रानी दक्षिण कालिका हैं, इनकी पूजा तांत्रिक विधि से होती है. उनके मुताबिक मंगलवार शाम सूर्यग्रहण से 12 घण्टे पहले सूतक लगा पर तांत्रिक विधि से पूजा पाठ के कारण इस मंदिर में सूतक का प्रभाव नही पड़ा. लेकिन अब तक के इतिहास में पहली बार यह मंदिर लगभग 2 घण्टे के लिए बंद रहा. मुंगेर में शाम 4:32 बजे से 6:23 बजे तक सूर्यग्रहण रहा. जिस वक्त माता के दरबार के पट बंद रहे. ग्रहण के बाद मंदिर को अच्छे से धोकर, माता की आरती के बाद सारे काम शुरू किये गये.आज तक नहीं हुई कोई अनहोनी

मंदिर समिति के मुख्य सदस्य तरुण देव सिंह ने बताया इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां आज तक कभी चोरी, डकैती, आग या अन्य कोई दुर्घटना नहीं हुई है. भक्तों का ऐसा विश्वास है कि माँ काली हर अनहोनी टाल देती हैं. उन्होंने बताया यह गांव पहले वनों से ढंका था. उस समय इस गांव के मूल निवासी सोनार जाति के लोगों के पूर्वजों ने यहां मां काली की पूजा अर्चना शुरू की थी.करीब 150 वर्ष पूर्व बढ़ोनिया गांव में सिंघेल राजपूतों का आगमन के बाद से काली मंदिर की सारी व्यवस्था उन लोगों के हाथ में चली गई, जो आज तक जारी है. काली पूजा इस गांव का ही नहीं, इस क्षेत्र का प्रमुख पर्व है. काली मंदिर के प्रति आस्था का आलम यह है कि यहां पूजा के अवसर पर देश-विदेश में रहने वाले सभी लोग गांव आते हैं. मान्यता है कि यहां सच्ची मुरादें पूरी होती हैं. सिंह के मुताबिक इस मंदिर के लिए कोई चंदा नही किया जाता. आगे 20 साल तक मंदिर के सारे खर्च अभी से ही गांव के लोगों ने बांट लिये हैं.

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from Muzaffarpur News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading