छठ पूजा में व्रती महिलाएं नाक तक सिंदूर क्‍यों लगाती हैं? जानें इसकी वजह….

महापर्व छठ का आरंभ होने जा रहा है. मुख्‍य रूप से पूर्वी उत्‍तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाने वाला यह त्‍योहार अब लगभग देश के हर राज्‍य में मनाया जाता है. छठ पर्व अब महापर्व का रूप ले चुका है और 4 दिन तक चलने वाले इस त्‍योहार में महिलाएं 36 घंटे का उपवास रख संतान के दीर्घायु होने और परिवार की मंगलकामना के लिए पूजा करती हैं.

छठ व्रती लंबा सिंदूर लगाती हैं और कठोर व्रत का पालन करती हैं. Image : Canvaइस दिन महिलाएं नाक से मांग तक खास सिंदूर लगाती हैं जिसको लेकर कई लोगों के मन में जिज्ञासा रहती है. तो आइए आज हम इस लंबे सिंदूर से जुड़ी कुछ महत्‍वपूर्ण जानकारी आपको देते हैं.

इसलिए लगाया जाता है नाक से सिंदूर

हिंदू धर्म में सिंदूर सुहाग का प्रतीक होता है. वैसे तो पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं मांग में सिंदूर लगाती हैं, लेकिन छठ पूजा के दिन नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाने की प्रथा है. इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए मांग में नारंगी सिंदूर लगाती हैं. मान्‍यता है कि लंबा सिंदूर पति के लिए शुभ होता है. यह भी मान्‍यता है कि लंबा सिंदूर परिवार में सुख संपन्‍नता का भी प्रतीक है और इस दिन लंबा सिंदूर लगाने से घर परिवार में खुशहाली आती है. माना जाता है कि इस‍ दिन अगर कोई महिला नाक से सिर तक लंबा सिंदूर लगाए तो उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पति दिर्घायु होता है. इस दिन सूर्यदेव की पूजा के साथ महिलाएं अपने पति और संतान के सुख, शांति और लंबी आयु की कामना करते हुए अर्घ्‍य देकर अपने व्रत को पूर्ण करती हैं.

नारंगी सिंदूर का महत्‍व

आचार्य सर्वेश कुमार पांडे के अनुसार, शास्त्रों में ये की मान्यता है कि हनुमान जी को चढ़ने वाला सिंदूर अर्थात नारंगी सिंदूर मांग में निरंतर धारण करने वाली सुहागन परमधाम को प्राप्त होती हैं, उनको एक भी दिन विधवा होकर इस धरा धाम पर नहीं जीना पड़ता.

जानें कैसे लगाएं सिंदूर

इस दिन सुहागिन महिलाएं सुबह स्‍नान कर सबसे पहले सिंदूर लगाती हैं. माना जाता है कि यह सिंदूर माथे से लेकर जितना लंबा होगा, उनके पति की आयु भी उतनी ही लंबी होगी. बिना नहाए कभी भी सिंदूर नहीं लगाना चाहिए. हमेशा नाक की सीध में ही सिंदूर लगाएं. कभी भी गिरा हुआ सिंदूर ना लगाएं. दूसरे का सिंदूर कभी नहीं लगाना चाहिए.

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