सहरसा जेल में स’रेंडर करेंगे आनंद मोहन, कागजी प्रक्रिया के बाद कल हो सकती है रिहाई

सहरसा: बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई होने वाली है. जिसको लेकर आज वो सहरसा कारा में पहुंच चुके हैं. जहां वो सरेंडर करेंगे जिसके बाद रिहाई की कागजी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. बता दें कि पूर्व सांसद अपने बेटे की सगाई के लिए 15 दिनों की पैरोल पर बाहर आये थे. जिसका समय आज 25 अप्रैल को खत्म हो गया है. इसलिए रिहाई के लिए उन्हें जेल जाना पड़ा जहां से सारी प्रक्रिया के बाद उन्हें रिहाह कर दिया जायेगा. उनके अच्छे व्यव्हार के कारण उन्हें रिहाह किया जा रहा है.

ananadmohan27 कैदियों की रिहाई का मिला था आदेश 

बता दें कि बीते सोमवार को ही सरकार ने 27 कैदियों की रिहाई का आदेश जारी किया था. जिसमें आनंद मोहन भी शामिल थे, उनकी रिहाई को लेकर कहा गया कि जेल में उनके अच्छे आचरण के कारण उन्हें रिहाह किया जा रहा है. हालांकि उनकी रिहाई पर कई लोगों ने आपत्ति भी जताई है. कई राजनीतिक दलों ने इसका विरोध भी किया है. वहीं, इस मामले में आनंद मोहन ने कहा कि रिहाई का फैसला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का है. जिसपर किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

आनंद मोहन पर क्या है आरोप

90 के दशक में आनंद मोहन राजनीति का बड़ा चेहरा बनकर उभर रहे थे. उस समय बिहार के सीएम लालू यादव थे. 1993 में सवर्णों के हक के लिए आनंद मोहन ने बिहार पीपल्स पार्टी बनाई. उस समय लालू और आनंद मोहन को राजनीति विरोधी माना जा रहा था. इस बीच बिहार पीपल्स पार्टी के नेता छोटन शुक्ला की 1994 में पुलिस के द्वारा मार गिराया गया. छोटन शुक्ला और आनंद मोहन करीबी माने जाते थे. छोटन शुक्ला की हत्या के बाद हजारों की भीड़ में शवयात्रा निकाली गई थी, जिसकी अगुआई आनंद मोहन कर रहे थे.

फांसी से उम्रकैद में तब्दील हुई सजा

उस समय गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैय्या थे. शवयात्रा में भीड़ उग्र हो गया और डीएम की गोली मार कर हत्या कर दी गई. भीड़ को उकसाने का आरोप आनंद मोहन पर लगा और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई. साल 2008 में उनकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दी गई. 2012 में आनंद मोहन ने सुप्रीम कोर्ट से सजा कम करने की अपील की गई, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया था.

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