शरद यादव के बेटे शांतनु को आरजेडी से नहीं मिली टिकट, सोशल मीडिया पर छलका दर्द

बिहार में लालू यादव की पार्टी राजद ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने हिस्से की 23 में से 22 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं. राजद अध्यक्ष लालू यादव ने अपनी बेटियों मीसा भारती और रोहिणी आचार्य को टिकट दिया है, लेकिन दिवंगत नेता शरद यादव के बेटे शांतनु यादव को टिकट नहीं दिया. RJD की ओर से मधेपुरा लोकसभा सीट से प्रो. कुमार चंद्रदीप को मैदान में उतारा गया है, जबकि इस सीट से शांतनु यादव चुनाव लड़ना चाहते हैं. टिकट नहीं मिलने पर शांतनु यादव का दर्द छलका पड़ा. शांतनु यादव ने मंगलवार (09 अप्रैल) की रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करके अपने पिता के साथ एक तस्वीर लगाई और लिखा कि पिता का साया सिर से हट जाना जीवन का सबसे कष्टदायी क्षण होता है. शांतनु यादव ने जिस तरह से प्रतिक्रिया दी, उससे सियासी अटकलें तेज हो गई हैं. सियासी जानकारों का कहना है कि हो सकता है कि शांतनु भी पप्पू यादव का रास्ता चुन सकते हैं.

शरद यादव के बेटे शांतनु यादव

मधेपुरा सीट को शरद यादव की कर्मभूमि के रूप में जाना जाता है. मध्य प्रदेश के मूल निवासी होने के बाद भी शरद यादव ने यहां लालू यादव को शिकस्त दे दी थी. इसके बाद वह मधेपुरा के ही होकर रह गए. शरद यादव 7 बार लोकसभा के सदस्य रहे हैं जिसमें 1991 से 2014 तक चार बार बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद रहे. इस सीट का प्रतिनिधित्व करते हुए वह केंद्र में चार विभागों के मंत्री भी रह चुके थे. हालांकि, 2019 में शरद यादव को यहां से हार का सामना भी करना पड़ा था. शरद यादव ने भले ही लालू यादव को हराया हो लेकिन बाद में दोनों के रिश्ते काफी अच्छे हो गए थे. शांतनु अब अपने पिता की राजनीतिक विरासत को संभालना चाहते हैं.

लालू यादव के इसी तरह के व्यवहार के चलते पूर्णिया सीट से पप्पू यादव को निर्दलीय मैदान में उतरने पड़ा है. पप्पू ने टिकट को लेकर ही कांग्रेस में अपनी पार्टी का मर्जर किया था, लेकिन लालू ने सीट शेयरिंग में इस सीट को अपने पास रख लिया. पप्पू यादव की तमाम अपीलों को इग्नोर करते हुए लालू यादव ने यहां से बीमा भारती को उतारा है. इससे नाराज होकर पप्पू यादव अब निर्दलीय खड़े होकर मुकाबले को त्रिकोणीय कर दिया है. अगर पप्पू की देखादेखी शांतनु ने भी निर्दलीय लड़ने का फैसला ले लिया तो फिर राजद प्रत्याशी की मुसीबत बढ़ सकती है.

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