बिहार में अब मोबाइल से ऑन और ऑफ होंगे सरकारी नलकूप

बिहार :  राज्य के सरकारी नलकूप अब अत्याधुनिक फीचर से लैस वाहनों की तरह मोबाइल से ही बंद और चालू होंगे। साथ ही, मुख्यालय में बैठे अधिकारी नलकूप की खराबी और जलस्तर का भी पता लगा सकेंगे। नलकूप से कितना पानी का रोज दोहन हो रहा है इसका भी अंदाजा अधिकारी लगा पाएंगे। नलकूपों को मोबाइल से जोड़ने की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है। इसी के साथ हर जिले के एक नलकूप को स्काडा योजना के तहत जोड़ा जाएगा। इसमें यह व्यवस्था की गई है कि पटना के अधिकारी नलकूप की खराबी से लेकर वोल्टेज और पानी की सतह तक पता लगा लेंगे।

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राज्य के नलकूपों को आधुनिक बनाने के लिए सरकार ने नेशनल हाइड्रोलॉजी प्रोजेक्ट के तहत दो योजनाएं मंजूर की है। यह योजना विश्व बैंक के पैसे से संचालित हो रही है। पहली योजना मोबाइल पंप कंट्रोलर लगाने की है। यह यंत्र राज्य के 3156 नलकूपों में लगेंगे। लघु जल संसाधन विभाग ने 3098 नलकूपों में मशीन लगा दी है। स्काडा योजना के तहत नलकूपों की मशीन में चिप डालकर उसे मुख्यालय के नियंत्री पदाधिकारी के पास रखी मशीन से जोड़ दिया जाता है। उससे यह जानकारी मुख्यालय के अधिकारी ले सकेंगे कि कितने घंटे मशीन चली।

मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में यह योजना पहले से लागू है। अब बिहार में इसे लागू करने की तैयारी है। यह योजना वर्ल्ड बैंक की है।

विभाग ने नलकूपों के रखरखाव की जिम्मेदारी पंचायतों को दे दी है। लिहाजा पंचायत के मुखिया की अनुशंसा पर ही किसी किसान के मोबाइल से किसी नलकूप को जोड़ा गया है। जिस किसान के मोबाइल से यह जुड़ेगा वह घर बैठे ही नलकूप को चालू और बंद कर सकेगा। इससे समय, पानी और बिजली तीनों की बचत होगी।

साथ ही किसान अगर यह देखेगा कि वोल्टेज ज्यादा ऊपर नीचे हो रहा है तो उसे खेत पर जाने की जरूरत नहीं होगी और घर से ही नलकूप बंद कर देगा। नलकूपों के खराब होने का यह प्रमुख कारण होता है। किसान चालू करने के बाद घर आ जाते हैं व बीच में बिजली की समस्या आने पर खेत पर नहीं पहुंच पाते है।

इसके तहत नलकूपों में एक यंत्र लगाया जाता है, जिसका कोड मोबाइल के चिप में डाल दिया जाता है। उसके बाद मोबाइल धारक किसान मशीन चालू करने के साथ उसे अपने घर से भी बंद कर सकता है।

 

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