दबंगों की मनमानी और उनकी रंगदारी से परेशान देश की एक बड़ी टेलीकॉम कंपनी बिहार में अपने बिजनेस को शट डाउन कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो राज्य को एक बड़ा झटका लग सकता है। लाखों यूजर्स के सामने टेलीकॉम सेक्टर में एक विकल्प खत्म हो सकता है।
कंपनी के लिए काम करने वाले करीब 9 हजार इम्प्लॉय बेरोजगार हो सकते हैं। दरअसल, पिछले कुछ समय से टेलीकॉम कंपनी और उनके अधिकारी काफी परेशान हैं। मामला मोबाइल टावर और उसके जेनरेटर के लिए उपलब्ध कराए जाने वाले डीजल से जुड़ा है। इस मामले में कंपनी के अधिकारियों ने कुल 5 जिलों के 9 थानों में लिखित कंप्लेन किया है।
बिहार में जब बिजली की स्थिति सही नहीं थी तब सभी टेलीकॉम कंपनी जेनरेटर से मोबाइल टावर को चलाने के लिए डीजल देती थी। लेकिन, अब बिहार में बिजली के हालात सुधरने के बाद टेलीकॉम कंपनियों ने जेनरेटर के लिए पहले की तुलना में डीजल की कटौती कर दी। टेलीकॉम कंपनियों का यह फैसला मोबाइल टावर मालिक और टावर की सिक्योरिटी में तैनात गार्ड को पसंद नहीं आया।
इसके बाद ही वो दबंगई, रंगदारी और अपनी मनमानी पर उतर हो गए हैं। आरोप है कि ये लोग जबरन टेलीकॉम कंपनी से पहले की तरह ही डीजल देने की मांग कर रहे हैं। दरअसल, कंपनी के सूत्रों की मानें तो मोबाइल टावर मालिक और सिक्योरिटी गार्ड मिलकर डीजल की चोरी करते थे। कंपनी के नए फैसले से डीजल की चोरी करने में इन्हें परेशानी होने लगी। इनके अवैध कमाई पर रोक लग गया।
आरोप है कि डीजल चोरी करने वाले माफियाओं ने बिहार के अंदर अपना एक बड़ा गुट बना लिया है। एक टेलीकॉम कंपनी के खिलाफ इस गुट ने 29 मार्च को बड़ी साजिश रची। उस दिन बिहार के अंदर एक टेलीकॉम कंपनी के करीब साढ़े 4 हजार में से लगभग 2 हजार मोबाइल टावर को 10 घंटे तक ठप कर दिया था। मतलब पूरी तरह से ज’बरन बंद करा दिया था।
इसका असर पटना से दूर-दराज वाले जिलों और गांवों में रह रहे वैसे लोगों पर पड़ा, जो इस टेलीकॉम कंपनी के यूजर्स हैं।इससे कंपनी को भी उस दिन करोड़ों रुपयों का बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद भी माफियाओं व दबंगों ने कंपनी को धमकी दी है। सीधे तौर पर है कि बिजली 24 घंटे भी रहे। उसके बावजूद जेनरेटर चलाने के नाम पर पहले जितना डीजल मिलता था, उतना ही अब भी देना पड़ेगा। नहीं तो सभी टावर को फिर से ठप करने और उसमें आग लगा देने की धमकी दी गई है।