चंडीगढ़ के व्यापारी पारस पोपलानी से मगध एक्सप्रेस में 55 लाख रुपए की ठ’गी करने वाले दोनों RPF जवान खेती-किसानी के बैकग्राउंड से आते हैं। एक आरोपी जवान प्रेम कुमार नावडेरा का रहने वाला है, जबकि कामेंद्र कुमार चौसा का निवासी है। दोनों के ही पिता किसान हैं। फिलहाल दोनों आरा में तैनात थे। दोनों ने मुख्य आ’रोपी सुल्तान के एक गुर्गे के कहने पर 7 मार्च को व्यवसायी का रुपयों भरा बैग बदल दिया था। फिल्मी स्टाइल में ठगी की इस घ’टना को अं’जाम देकर दोनों ट्रेन से उतर गए थे।
बाद में व्यवसायी ने पुलिस और कोर्ट को पूरी जानकारी दी थी। कोर्ट के निर्देश पर व्यवसायी ने दोनों आ’रोपी जवानों की पहचान की, जिसके बाद आरा पुलिस ने दोनों को अरेस्ट कर जेल भेज दिया है। इस मामले में व्यवसायी से डील करनेवाले यूपी के आजमगढ़ निवासी हवाला कारोबारी सुल्तान को आरा की रेल पुलिस त’लाश कर रही है।
RPF जवान कामेंद्र कुमार सिंह चौसा निवासी महातिम सिंह के तीन बेटों में मंझला है। उसने 2014 में RPF जॉइन की थी। पिता साधारण किसान हैं।
खेती-बाड़ी कर बच्चों को पढाया-लिखाया था। दो बेटे पान की दुकान चलाते हैं, लेकिन कामेंद्र ने दौड़-धूपकर सरकारी नौकरी ले ली। उसकी 2016 में शादी हुई थी, एक 4 साल का बेटा है। कामेंद्र की गि’रफ्तारी को लेकर भी गांव में तरह-तरह की चर्चा हो रही है।
कुछ ग्रामीणों का कहना है कि जब से नौकरी जॉइन किया था, तब से जमीन पर जमीन खरीद रहा था। अभी गांव में ही एक और जमीन खरीदने के लिए डील किए हुए था, लेकिन तब तक पकड़ा गया। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि 3 महीने पहले ही कामेंद्र की पोस्टिंग आरा हुई थी। वहां प्रेम के साथ कुछ ज्यादा घुल-मिल गया था। उसके साथ रोजाना आरा से बक्सर आने-जाने के कारण इसको फं’सा दिया गया है।
उधर प्रेम कुमार के पिता नावडेरा निवासी सुरेश सिंह भी किसान ही हैं। उसे नौकरी करते 18 साल हो गए हैं। दो बच्चे भी हैं। लोग कहते हैं कि प्रेम ने नौकरी में रहते हुए गांव के अलावा बक्सर शहर में भी बढ़िया मकान बना लिया है। वह पहले बक्सर और डुमरांव में रहा, फिर अब कुछ महीनों से आरा में तैनात था।
पारस पोपलानी ने पुलिस को बताया था कि उनके एक परिचित बलिया निवासी अभय कुमार ने सुल्तान से सौदा तय कराया था। तय डील के मुताबिक पटना में एक इंस्टिट्यूट के लिए प्रॉपर्टी खरीदने की बात थी।

इसमें एडवांस के तौर पर 55 लाख रुपए कैश देने थे। दो माह के बाद रुपए डबल कर लौटाने का एग्रीमेंट बनाया जाना था। इसे लेकर ही वो पटना आए थे, लेकिन यहां डील कैंसिल कर दी गई और फिर लौटते वक्त RPF जवानों के द्वारा चलती ट्रेन में रुपयों से भरा उनका बैग बदलवा दिया गया।