पटना : सीबीएसई पाठ्यक्रम में बदलाव करते हुए 11वीं और 12वीं के सिलेबस से इतिहास की कई महत्वपूर्ण घटनाओं को हटा दिया है जिसमें गुटनिरपेक्ष आंदोलन, शीतयुद्ध के दौर, अफ्रीकी-एशियाई क्षेत्रों में इस्लामी साम्राज्य के उदय, मुगल दरबारों के इतिहास और औद्योगिक क्रांति से संबंधित अध्याय शामिल हैं। बिहार में इस मुद्दे को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। इस फैसले का विरोध करते हुए बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि पाठ्यक्रम में बदलाव के अधिकारिक सूचना नहीं दी गई है। पाठ्यक्रम में जो बदलाव किया गया है उसका कोई औचित्य नहीं है।

जेडीयू नेता और बिहार के शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि भारत के इतिहास का मुगल शासन काल अविभाज्य हिस्सा है। यदि कोई देश का इतिहास समझना चाहेगा तो बीच में किसी काल को हटाया नहीं जा सकता है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद आजादी के बाद से लेकर अभी तक के प्रधानमंत्री के म्यूजियम का उद्घाटन किया है। उसमें सभी प्रधानमंत्रियों के द्वारा किए गए विशेष कार्यों का उल्लेख किया गया है। इतिहास के अविभाज्य हिस्से को निकालने का कोई मतलब नहीं है।

विजय चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश पहले दोनों तरफ से भारत को परेशान करते थे। 1971 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में बांग्लादेश बना और पाकिस्तान दो हिस्सों में बांटा और बांग्लादेश बना उसी से में शिमला समझौता हुआ। गुटनिरपेक्ष आंदोलन हो या 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध हो या चार सौ, पांच सौ साल पहले मुगलों का शासन, सभी इतिहास का अभिन्न हिस्सा है। इनको अलग नहीं करना चाहिए और इसकी जानकारी सभी लोगों को दी जानी चाहिए।

विजय चौधरी ने कहा कि देश में जो घटनाएं घटी हैं उससे देश को क्या फायदा या नुकसान हुआ इन्हीं सब चीजों की समीक्षा इतिहास के माध्यम से की जाती है। इतिहास को यदि हम दरकिनार कर देंगे तो आगे के लिए हम पुरानी सीख का फायदा नहीं उठा पाएंगे. विजय चौधरी ने साफ किया कि बिहार में यह बदलाव नहीं होगा। बिहार सरकार के पाठ्यक्रम में फिलहाल जो पढ़ाया जा रहा है उसमें सरकार कोई भी बदलाव नहीं करने जा रही है।
