पटना : आईजीआईएमएस के कार्डियोथोरेसिक विभाग में हॉर्ट की गंभीर और जटिल सर्जरी कराने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। स्थिति यह है कि हर महीने करीब 40 से अधिक ओपन हॉर्ट सर्जरी होने के बावजूद यहां वर्तमान में 500 से अधिक मरीज ओपन हॉर्ट की सर्जरी कराने के लिए इंतजार कर रहे हैं। वैसे इनको कोई डेट नहीं दिया गया है। डॉक्टर की मानें तो इन मरीजों की स्थिति और बीमारी की गंभीरता के अनुसार प्राथमिकता दी जाती है और उसी के अनुसार सर्जरी की जा रही है। यदि डेट दें तो 2025 तक वेटिंग जा सकता है।

ओपन हॉर्ट सर्जरी की संख्या बढ़ाने और वेटिंग लिस्ट कम करने के लिए एक और हॉर्ट लंग मशीन के लिए टेंडर भी किया जा चुका है। ओपन हॉर्ट सर्जरी के लिए हॉर्ट लंग मशीन की जरूरत होती है। यदि दूसरी हॉर्ट लंग मशीन आ जाती है तो हॉर्ट सर्जरी की संख्या संस्थान में 40 से बढ़कर हर महीने से 70 से 80 हो जाएगी।

संस्थान के विशेषज्ञों की राय में विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभ मिलने से भी मरीजों की संख्या बढ़ी है। महत्वपूर्ण है कि सरकारी योजनाओं का लाभ प्राइवेट अस्पतालों में भी मिल रही है पर मरीजों का विश्वास सरकारी अस्पतालों पर अधिक दिख रहा है। सरकारी अस्पताल में मरीजों की भीड़ बढ़ने का एक बड़ा कारण विशेषज्ञ इसको भी मानते हैं।

हर महीने करीब 40 से अधिक ओपन हार्ट सर्जरी होती है
आईजीआईएमएस के कार्डियोथोरेसिक विभाग के हेड व सर्जन डॉ. शील अवनीश का कहना है कि यह सब विश्वास का मामला है। वैसे भी विश्वास जमने में समय लगता है। मरीज और परिजन को लगता है कि यहां सर्जरी कराएंगे तो सुरक्षित रहेंगे या बेहतर इलाज होगा। इमरजेंसी को छोड़कर हर महीने 40 से अधिक सर्जरी करने के बावजूद 500 से अधिक मरीजों की प्रतीक्षा सूची तैयार हो गई है और इसकी संख्या लागातर बढ़ रही है।

डॉ.शील के मुताबिक सर्जरी के लिए इंतजार करने वालों में वाल्ब के आपरेशन के लिए 50 फीसदी, बाइपास सर्जरी के 40 फीसदी और जन्मजात दिल की बीमारी से पीड़ित बच्चों की संख्या 10 फीसदी है। इसमें आयुष्मान भारत का लाभ लेने वाले 50 फीसदी, बिहार सरकार के अनुदान वाले 40 फीसदी और खुद से इलाज कराने वाले 10 फीसदी हैं। मरीज हॉर्ट की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित होकर सर्जरी के लिए आते हैं।

इनमें अधिकांश को ओपन हॉर्ट सर्जरी करनी पड़ती है। कुछ योजनाओं में सर्जरी की नि:शुल्क होती है। जैसे प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना, राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम, राज्य सरकार के अनुदान आदि वाले मरीज शामिल हैं। इनके अलावा पेड मरीज भी हैं। जो पूरा खर्च देकर भी यहीं पर हॉर्ट की सर्जरी कराना चाहते हैं।