अहियापुर के शेखपुर ढाब से 10 मई की शाम अपहृत राकी को मुक्त करने के लिए उसके पिता राजीव कुमार से रक्सौल के एक होटल से 30 लाख रुपये फिरौती मांगी गई थी। पकड़ा नहीं जाए इसलिए इंडी काल एप के माध्यम से अपहर्ता गिरोह में शामिल गायघाट थाना क्षेत्र के पिरौंछा के अरविंद सिंह ने यह फिरौती मांगी थी। राकी के अपहरण की रात ही यह काल किया गया था। मुख्य अपहर्ता सरोज कुमार का पुलिस के समक्ष यह स्वीकारोक्ति बयान आया है। उसने कहा है कि रुपये की लालच में ही उसने अपहरण की साजिश रची।

क्या है इंडी काल एप
इंडी काल एप एक खास एप होता है। इससे पूरे देश में डाटा के माध्यम से काल किया जाता है। यह काल पूरी तरह फ्री होता है। यह एप तब भी काम करता है जब मोबाइल में सिम नहीं होता है। यूजर्स अपना मोबाइल नंबर छिपाकर काल कर सकता है। एक ही नंबर से काल करने पर हर बार सामने वाले के मोबाइल पर नया नंबर दिखेगा। शहर व स्टेट का नाम भी बदला रहेगा। यह एक फेक नंबर होता है, जिसे ट्रू कालर भी सर्च नहीं कर पाता और कोई रिटर्न काल नहीं कर सकता।

सरोज व रवि को भेजा गया जेल
अहियापुर थानाध्यक्ष विजय कुमार सिंह ने बताया कि गिरफ्तार सरोज कुमार व रवि कुमार को सीजेएम कोर्ट में पेश किया। जहां से दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।

अपहरण में सरोज सहित तीन अन्य थे शामिल
सरोज ने पुलिस को बताया कि राकी के अपहरण में उसके तीन और साथी शामिल थे। इसमें दरभंगा जिले के सिंहवाड़ा गांव का रोशन कुमार, सूरज कुमार व गोपालगंज जिले के महुआ गांव का रवि कुमार शामिल था। राकी को आटो से लेकर वे चारों मुजफ्फरपुर स्टेशन पहुंचे। रोशन व सूरज स्टेशन से वापस हो गया। रवि और वह राकी को नेपाल में छिपाने के लिए रक्सौल पहुंचा। फिर वह और रवि पटना के रास्ते छपरा कचहरी स्टेशन पहुंचा, जहां 14 मई की रात फिरौती की राशि लेते हुए पुलिस ने उन दोनों को गिरफ्तार करते राकी को बरामद कर लिया।

सरोज पर राजीव का परिवार करता था भरोसा
सरोज पर राजीव का परिवार आंख मूंद कर भरोसा करता था। राजीव के साला विजय कुमार से दोस्ती के माध्यम से सरोज की इंट्री राजीव के घर में हुई थी। बाद में दोनों के बीच प्रगाढ़ संबंध बन गया। बेरोजगारी की हालत में इस साल 23 फरवरी से वह राजीव के घर में ही रह रहा था।
