पटना-5 के ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार ने अब तक दस साल नौकरी की जिसमें इन्हें वेतन के रूप में करीब 60 लाख मिले लेकिन विजिलेंस ने जब आय से अधिक संपत्ति मामले में कार्रवाई शुरू की तो इनके पास 20 करोड़ से अधिक संपत्ति का पता चला।

विजिलेंस की छापेमारी के दौरान कई और खुलासे हुए हैं। विजिलेंस के सूत्रों के अनुसार ड्रग इंस्पेक्टर ने जिस हिसाब से संपत्ति अर्जित की है उससे उसकी संपत्ति 20 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।कई बेनामी बेनामी संपत्ति का पता चला है। छापेमारी के पहले दर्ज एफआईआर में ही 2 करोड़ से अधिक की जमीन और फ्लैट का जिक्र है। जमीन के कुल 27 डीड और दस्तावेज मिले हैं।

कई दस्तावेज विजिलेंस के हाथ अभी नहीं आए हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि नोएडा में जिन फ्लैटों का पता चला है उनकी कीमत बाजार भाव के हिसाब से 1 करोड़ से अधिक की हो सकती है।जो डीड मिले हैं उनकी कीमत 2 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। इसके अलावा गया के एक और पटना के संदलपुर के एक बेनामी फ्लैट की कीमत बाजार भाव के हिसाब से 50 लाख से अधिक हो सकती है। बेंगलुरु में भी एक फ्लैट खरीदे जाने की सूचना मिली है। इसका भी पता लगाया जा रहा है। ड्रग इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार 1 जनवरी 2012 को सरकारी नौकरी में आए थे। तब से अभी तक इन्हें वेतन के रूप में अनुमानित 60 लाख रुपए प्राप्त हुए। इसके अलावा अन्य स्रोतों से 20 लाख रुपए प्राप्त होने का अनुमान है।

सरकारी नौकरी में रहते निजी संस्थान में निदेशक बन बैठे जितेंद्र कुमार
विजिलेंस को सूचना मिली है कि जितेंद्र कुमार वर्तमान में सरकारी नौकरी में रहते हुए गोल रोड में निजी संस्थान बिहार कॉलेज ऑफ फार्मेसी में अवैध रूप से डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। विजिलेंस के सत्यापन में पाया गया है कि जितेंद्र कुमार ने सुल्तानगंज में खान मिर्जा लेन में पुश्तैनी और स्वयं के नाम से खरीदी जमीन पर लगभग 4 हजार वर्गफीट में जी प्लस फोर मकान बनवाया है।इंस्पेक्टर के ठिकाने तक विजिलेंस की टीम को एक बच्चे ने पहुंचा दिया, चंद मिनट की और देरी होती तो 4 करोड़ 11 लाख 79 हजार 700 रुपए विजिलेंस के हाथ नहीं लगते।

सूत्रों के अनुसार सुल्तानगंज में जितेंद्र कुमार का बहुत बड़ा घर है जिसमें उनके भाई भी रहते हैं। इस बड़े मकान में कई फ्लैट हैं। विजिलेंस को पता ही नहीं चल पा रहा था कि जितेंद्र किस फ्लैट में रहते हैं।आसपास सटे सटे मकान हैं। इसी बीच संभवतः जितेंद्र कुमार के घर के सदस्यों को विजिलेंस की टीम की भनक लग गयी थी। सूत्रों के अनुसार कुछ लोगों ने इस बात की भरसक कोशिश की कि विजिलेंस की टीम परिवार के दूसरे सदस्यों के फ्लैट में घुस जाए।

विजिलेंस की टीम के पास उतने मैनपावर नहीं थे कि इतने बड़े घर को एक साथ घेरा जाए। वह असमंजस में पड़ी थी।इसी बीच एक छोटे बच्चे से विजिलेंस के अफसरों ने पूछ लिया कि दवा वाले बाबू का घर कौन सा है। बच्चे ने घर तक पहुंचा दिया और 4 करोड़ 11 लाख रुपए की बरामदगी हो गई। हालाकिं ड्रग इंस्पेक्टर अभी भी फरार है।

विजिलेंस की टीम उसे तलाश रही है। कैश के अलावा जमीन के 27 डीड एवं कागजात मिले हैं। इनमें कई नोएडा और रांची के हैं। नोएडा में दो-तीन फ्लैट होने की जानकारी मिली है।इसके अलावा स्टेट बैंक, पीएनबी, केनरा बैंक और सीबीआई के 8 पासबुक मिले हैं। साथ ही एलआईसी, मैक्स लाइफ, अवीवा और न्यू इंडिया इंश्योरेंस में निवेश के 10 दस्तावेज मिले हैं