पूर्णिया के मेडिकल कॉलेज अस्पताल इन दिनों बदहाली के कागार पर है। 385 करोड के लागत से बने अस्पताल में मरीजों का इलाज तो दूर सोने के लिए बेड तक उपलब्ध नहीं है। मरीजों को दवा भी बाहर से खरीदना पड़ता है। अस्पताल में डाक्टर, नर्स सभी है फिर भी मरीज इलाज के लिए तडपते रहते हैं। डाक्टरों को अस्पताल के मरीज से ज्यादा अपने प्राइवेट क्लिनिक की चिंता अधिक रहता है।

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डाक्टर और कर्मियों की एक ऐसा ही मामला सामने आया है। केनगर थाना क्षेत्र के परोरा के रहने वाले पंकज पासवान ने बताया कि मारपीट में वह जख्मी हो गया है। 16 जुलाई को अस्पताल में भर्ती हुआ था। लेकिन अभी तक किसी डाक्टर ने झांकने तक नहीं आया।

आज सुबह वह शौच के लिए बाथरूम गया हुआ था तभी डाक्टर और नर्स ने आकर उन्हें भगौड़ा बताकर रजिस्टर से नाम काट दिया। अब मरीज को इलाज तो क्या भोजन तक नहीं दिया गया है। वहीं के नगर रहुआ के रहने वाले सीलू ऋषि ने बताया कि उनके बेटा का एक पैर फ्रैक्चर हो गया है। 48 घंटे से बेड पर पड़ा हुआ है। अभी तक डाक्टर झांकने तक नहीं आए हैं।

जब इस संबंध में एक मीडिया कर्मी सर्जिकल वार्ड में तैनात रहे हड्डी रोग विशेषज्ञ डा चन्द्र किशोर दास से पुछने के लिए गया तो डाक्टर साहब गुस्से से आगबबूला हो गए और मीडिया कर्मी को धक्का मार कर मोबाइल जमीन पर पटक दिया और कहने लगे कि अस्पताल में डीएम के आदेश से ही मीडिया कर्मी को आने की अनुमति है।

काॅलेज अधिक्षक डा बरूण कुमार ठाकुर ने बताया कि कुछ डाक्टर और कर्मियों के लापरवाही से मरीजों को इलाज में परेशानी हो रही है। मामले को संज्ञान में लिया गया है. दोषी डाक्टर के उपर कार्रवाई होगी ।


