डूब रहा आशियाना…अब ईंट बचाने की कोशिश:कोसी के कटाव में समाए 100 घर-100 जद में; अपने हाथों अपना घर तोड़ने को मजबूर लोग

भागलपुर।  भागलपुर जिले के कई गांव कोसी में समा रहे हैं। सैकड़ों घर नदी में बह चुके हैं। हालात बद से बदतर हैं। हजारों लोगों के घर बह चुके हैं। जिनके बचे हैं वे अपने आशियाने को खुद ही उजाड़ते नजर आए। जहांगीरपुर गांव कोसी नदी के किनारे बसा है, जहां करीब 1500 से ज्यादा घर है। गांव में करीब-करीब 4 से 5 हजार लोग रहते हैं। यहां पिछले 2 महीने से जारी कटाव के कारण 55 पक्के मकान समेत 100 से ज्यादा घर नदी में समा चुके हैं। 100 ऐसे मकान ऐसे हैं जो कभी भी चपेट में आ सकते हैं। मजबूरन यहां के लोगों को अपने हाथों से अपना घर तोड़ना पड़ रहा है, ताकि कम से कम ईंट बचा सके।

कटाव रुकने का नाम नहीं ले रहा है। वहां के लोग अपनी आंखों से अपने बसाए हुए आशियाने को उजड़ते हुए देख रहे हैं। उनका जीवन पिछले 2 महीने से खौफ के साए में कट रहा है। महिलाएं एक हाथ से अपने बच्चे को गोद में संभाल रहीं थीं तो दूसरे हाथ से टूटते हुए घर की ईंट इकट्ठा कर रही थी। बुजुर्ग महिलाएं ईंट बचाने के लिए अपने सिर पर गमले में उसे सुरक्षित स्थान पर ले जा रही थी।

 

स्थानीय अब्दुल रकीब ने बताया कि उनका घर आज से 1 महीना 4 दिन पहले नदी के बढ़ते रौद्र रूप का शिकार हो गया। तब से लेकर वहीं आस-पास प्लास्टिक (पॉलिथीन) लगाकर अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। खाने-पीने से लेकर सभी सब चीजों की दिक्कत है। उन्होंने बताया कि उनका पूरा परिवार सत्तू और चूड़ा खाकर अपने दिन गुजार रहे हैं। कभी-कभी गांव वाले या स्थानीय लोग चंदा काट कर सामूहिक भोजन बनवाते हैं तो उन्हें खाना नसीब होता है।

नदी की चपेट में आने से लोग बेघर हो गए। अब लगातार बारिश से दोहरी मार पड़ रही है। मानसूनी बारिश से छिपने के लिए लोग पॉलिथिन का इस्तेमाल कर रहे हैं। मोहम्मद शरीफ ने बताया कि बारिश के कारण रात-रात भर जागना पड़ता है। पूरा परिवार पॉलिथिन के नीचे बैठ कर बारिश से खुद को बचाते हैं। पिछले कई दिनों से वे ऐसे ही रात गुजार रहे हैं।वहीं रहने वाली अमना खातून ने बताया कि बड़ी मुश्किल से रहने के लिए कुछ दिनों पहले घर बनाया था। मेरी जवान बेटियां है। अब उनकी शादी करूंगी या घर बनाऊंगी। खैर ये तो बाद की बात है लेकिन मैं अपनी जवान बेटियों को लेकर कहां जाऊं। मुझे उनकी चिंता सता रही है। खाने-पीने के लिए कुछ नहीं बचा है।

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