संत माइकल स्कूल की प्राइमरी सेक्शन की हेड मिस्ट्रेस विशाखा सिन्हा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। संत माइकल स्कूल राजधानी के प्रतिष्ठित स्कलों में एक है। विशाखा सिन्हा ने पद से इस्तीफा देते हुए वीडियो जारी कर स्कूल प्रबंधन पर प्रताड़ना का गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि डेढ़ साल से उन्हें मानसिक रुप से प्रताड़ित किया जा रहा था जिस कारण वे मानसिक और शारीरिक तौर पर बीमार गईं।

वे आठ साल से माइकल स्कूल में हेड मिस्ट्रेस थीं। स्कूल के प्रिंसिपल फादर आर्मस्ट्रांग एडिशन ने भास्कर से कहा कि विशाखा सिन्हा का कार्यकाल 31 अगस्त को ही खत्म हो गया था। उन्हें नई जिम्मेदारी देने के लिए स्कूल प्रशासन तैयार था लेकिन उन्होंने पद संभालने से इंकार कर दिया। इसमें प्रताड़ना जैसी कोई भी बात नहीं है।

मानसिक तनाव बढ़ा तो मुझे मेडिकल लीव पर जाना पड़ा
विशाखा सिन्हा ने वीडिया जारी कर अपने ऊपर हुई प्रताड़ना की कहानी बतायी है। उन्होंने कहा है कि ‘मेरा रहना कुछ लोगों को यहां अच्छा नहीं लग रहा था। मैंने बहुत कोशिश की कि बच्चों की सेवा करती रहूं। लेकिन अंततः चीजें जैसी होनी चाहिए वैसी हुई नहीं। मेरे सुपीरियर जब आए तो उन्होंने मन बना लिया था कि मैं यहां काम नहीं करूं। यही कारण है कि मैं यहां से मेडिकल लीव पर चली गई थी। यहां मानसिक तनाव बढ़ गया था। शारीरिक कष्ट भी बढ़ रहा था। मैंने इससे पहले छह सालों में एक बार कमर दर्द के कारण छुट्टी ली थी इसके अलावा छुट्टी नहीं ली।’

कुछ लोगों को मेरा रहना गंवारा नहीं था और वे शुरू से मेरे पीछे लगे हुए थे
उन्होंने कहा कि- ‘डेढ़ साल में मैंने काफी कष्ट झेला है। मैंने मन बना लिया कि मैं वापस नहीं आऊंगी। लेकिन इस बीच दो माह में बहुत से लोगों ने फोन किया। लेकिन मैं फोन नहीं ले रही थीं। मेरा मन बहुत दुखी हुआ कि जिस जगह को मैंने सींचा है वहां तनाव दिया जा रहा है तो मैं काम कैसे करूं। इसलिए मैंने चुपचाप ही जाना जरूरी समझा। टीचर्स का प्यार, आपलोगों का प्यार, फादर ने कहा सभी मिस कर रहे हैं, जल्दी से आओ। मैंने मन बनाया कि मैं वापस आऊंगी। लेकिन मेरे आने के बाद उन्हें मेरा आना गंवारा नहीं हुआ जो चाहते थे कि मैं यहां नहीं रहूं। वे मुझे कष्ट देते रहे और मैं झेलती रही।

एक टीचर की तरह अप्लाई करने को कहा गया
विशाखा सिन्हा ने कहा कि अंततः उन्होंने बेबुनियाद बातों का हवाला दिया। मेरा अप्वॉइंटमेंट दो साल मेरे प्रोबेशन पीरियड के बाद हुआ था। यह रिन्व्यूल होने वाला पोस्ट था। यह एक फॉरमेलिटी थी। मेरी और फादर के बीच अंडर स्टैंडिंग थी। लेकिन कुछ लोगों को यह शुरू से गंवारा नहीं था और वे शुरू से मेरे पीछे लगे हुए थे। छह साल का कांट्रैक्ट है, मुझे कहा जाना लगा। मनमानी होने लगी। अंततः दो महीने पहले मुझे कह दिया गया कि हेडमिस्ट्रेस का पोस्ट नहीं रखेंगे।

फिर भी कुछ वेलविसर्स को आस थी कि सब ठीक हो जाएगा। लेकिन ठीक होना नहीं था। फिर से उनलोगों ने चाल चली। पहले से प्रिंसिपल का पोस्ट खत्म करने की बात कही गई और उसके बाद कहा गया कि आपको रहना है तो आप एक टीचर की तरह अप्लाई कीजिए अपने क्वालिफिकेशन के अनुसार। यह मेरे लिए काफी अपमानजनक चिट्ठी थी, जिसे मैंने लिया नहीं और कहा कि मैं फादर से बात करूंगी, क्योंकि मेरे अप्वॉइंटमेंट के समय ये बातें नहीं कही गई थीं।

उन्होंने फिर एक लेटर जारी किया और चालाकी से लिखा कि आपका पोस्ट खत्म किया जाता है और नए असाइनमेंट के लिए पहली सितंबर को रिपोर्ट करें। उन्हें डर था कि लीगल एक्शन मैं नहीं ले लूं। मैंने पूछा कि मुझे नहीं रखना है तो साफ-साफ बता दिया जाए। मैं शांति से चली जाऊंगी। अब मुझे कॉर्डिनेटर के रुप में हाईस्कूल में जाने को कहा जा रहा है ताकि मैं रिफ्यूज कर दूं। मैं आपलोगों से अलविदा कहना चाहती हूं। मैं पटना में एक नए स्कूल को आरंभ करुंगी।’


