गोपालगंज। इस बार अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर शुक्रवार को मनाया जाएगा। थाना रोड स्थित काली मंदिर के प्रमुख पुजारी जनमेजय मिश्र ने बताया कि 9 सितंबर की सुबह 6:25 से शाम के 6:07 तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा। उन्होंने बताया कि भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाले इस व्रत के लिए चतुर्दशी तिथि सूर्योदय के पश्चात दो मुहूर्त में व्याप्त होनी चाहिए।
नौ सितंबर यानि शुक्रवार को इसके लिए उपयुक्त संयोग बन रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि चतुर्दशी तिथि सूर्य उदय के बाद दो मुहूर्त से पहले हीं समाप्त हो जाए तो अनंत चतुर्दशी पिछले दिन मनाए जाने का विधान है। इस व्रत को पूजा और मुख्य कर्म काल के दिन प्रथम भाग में करना शुभ माने जाते हैं।
यदि प्रथम भाग में पूजा करने से चूक जाते हैं तो मध्यान्ह के शुरुआती चरण में करना चाहिए। मध्यान्ह का शुरुआती चरण दिन के सप्तम से नौ मुहूर्त तक होता है। जाहिर तौर पर शुक्रवार को इस साल अनंत चर्तुदर्शी निर्विवाद रूप से मनाया जाएगा।
मान्यता है कि भगवान ने भौतिक जगत में 14 लोक बनाए। जिनमें भू लोक, भुंवलोक, स्वंलोक, महंलोक, जनलोक, तपो लोक, ब्रह्म लोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल है। पंडित महेश मधुकर के मुताबिक अनंत सूत्र के 14 गांठ 14 लोक की प्रतीक होती है।
यह भी मान्यता है कि जो 14 सालों तक लगातार अनंत चतुर्दशी का व्रत रखता है उसे भगवान विष्णु के लोक की प्राप्ति होती है। अनंत सूत्र को पुरुष दाहिने और महिलाएं बाएं हाथ में बांधती है। अनंत चतुर्दशी के दिन व्रती सुबह स्नान इत्यादि नित्य कर्मों से निवृत्त निराहार रहते हुए कलश की स्थापना करें।
भगवान विष्णु की तस्वीर सामने रखें। कलश पर कुश से निर्मित अनंत देव की स्थापना की जाती है। इसके आगे कुमकुम केशर या हल्दी से रंग कर बनाया हुआ कच्ची डोरी की 14 गांठ वाला अनंत भी रखा जाता है। अनंत चतुर्दशी पर विधिवत गणपति की पूजा करें.
गौरी पुत्र को धूप, दीप, भोग लगाएं. गणपति जी को विदा करने से पहले उनसे भूल चूक की माफी मांगें। अगले बरस जल्द आने की कामना करें। इस दिन नदी, तालाब, या घर में जल में गणपति प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। ध्यान रहे गणपति को पूजा में चढ़ाई चीजों को जल में प्रवाहित न करें. इससे दोष लगता है।
