पश्चिमी चंपारण. बच्चों को खेल-खेल में और इंटरटेनिंग ढंग से पढ़ाने का माॅडल कारगर साबित होता हुआ नज़र आ रहा है. सरकारी स्कूलों में छोटे बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में बुनियादी तौर पर तैयार करने और नियमित रूप से स्कूल जाने के लिए लगाव पैदा करने के उद्देश्य से सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत ‘चहक’ कार्यक्रम की शुरुआत की है. इसके अंतर्गत बच्चों को खेल के माध्यम से पढ़ाने और उन्हें मनोरंजक ढंग से विद्यालय और पढ़ाई के प्रति जागरूक बनाने पर ज़ोर दिया जा रहा है. सबसे बड़ी और खास बात यह है कि इस मॉडल के ज़रिये बच्चे काफी उत्साहित होकर सीख रहे हैं.

चम्पारण के सिंघाछापर स्थित उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक अशोक झा ने बताया कि उनके स्कूल में शिक्षा की इस पद्धति को लागू किया गया है. चहक मॉडल के तहत बच्चों को सिखाने से उनका चहुंमुखी विकास हो रहा है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक अशोक झा ने राज्य स्तर पर चहक का प्रशिक्षण लिया है. साथ ही स्कूल के एक और शिक्षक राजेश कुमार ने भी राज्य स्तर पर ट्रेनिंग ली है. पहली कक्षा के बच्चों को खेल के माध्यम से पढ़ाना शरू किया गया है और इसके उत्साहजनक नतीजे दिख रहे हैं.

बच्चे बोलने लगे हैं फर्राटेदार अंग्रेजी!
स्कूल के बच्चों से बात करने पर उन्होंने बेहिचक सभी सवालों के जवाब दिए. यही नहीं हिंदी में नाम पूछने पर कुछ बच्चों ने जवाब अंग्रेज़ी में भी दिया. इन बच्चों ने बिना किसी झिझक के आसानी से कविता भी सुनाई. इस कक्षा का नज़ारा भी अलग दिखा. शिक्षिका बच्चों को एक गोल घेरे में बिठाकर खेल और गाने के माध्यम से पढ़ा रही थीं, जिसे बच्चे बड़ी ही दिलचस्पी से सीखते हुए नज़र आए.




