जर्जर हो चुकी है उत्तर प्रदेश-बिहार को जोड़ने वाली स्याही पुलिया, क्या है हादसे का इंतजार?

सीवान. बिहार के सीवान को यूपी से जोड़ने के लिए स्याही नदी पर अंग्रेजों के जमाने में बनी पुलिया अब जर्जर हो चुकी है. भारी वाहनों के टपने से इसमें कंपन होता है और लगातार दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. समय के साथ वाहनों का दबाव बढ़ता जा रहा है. लेकिन दोनों राज्यों के सीमावर्ती इलाके में रह रहे लाखों की आबादी को 80 साल पुरानी इसी पुलिया का सहारा है. पुलिया संकरी होने की वजह से बड़े वाहनों के गुजरे के दौरान दोनों तरफ जाम लग जाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि चुनाव के वक्त पुलिया चुनावी मुद्दा तो बनता है, लेकिन चुनाव के बाद इसे भुला दिया जाता है.

Siwan news: जर्जर हो चुकी है उत्तर प्रदेश-बिहार को जोड़ने वाली स्याही पुलिया,  क्या है हादसे का इंतजार? - Gopalganj Samachar

सीवान के नौका टोला और यूपी के चित्रसेन बनकटा के बीच बनी यह पुलिया दोनों तरफ कई रिश्तों के डोर भी थामे हुए है. दरअसर, सीवान के कई बेटे-बेटियों की शादी यूपी के देवरिया और गोरखपुर में हुई है. लिहाजा स्याही नदी पर बनी यह पुलिया हजारों लोगों के संबंधों का सेतु भी है. सीमावर्ती इलाके के व्यवसाय और किसानों के लिए इस पुलिया का खासा महत्व है. जिले के अधिकांश किसानों का गन्ना इसी पुलिया से होकर उत्तर प्रदेश के प्रतापपुर चीनी मिल पहुंचता है.

बड़े हादसे की आशंका
सरकारी उदासीनता और देखरेख के अभाव में पुलिया की सुरक्षा बाउंड्री भी ध्वस्त हो चुकी है. स्थानीय लोगों ने बताया कि 20 सालों से पुलिया पर रेलिंग नहीं है. इस कारण वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो कर नदी में गिर जाती हैं. हादसे में कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. पुलिया पर कई जगहों पर दरार साफ देखा जा सकते हैं. भारी वाहनों के गुजरने के दौरान इसमें कंपन होता है. यह कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकता है. लोगों ने बताया कि पुलिया संकरी होने के कारण बड़े वाहनों के गुजरने के क्रम में दोनों तरफ लंबा जाम लग जाता है. हमारे पास दूसरा विकल्प नहीं होने के कारण इसके इस्तेमाल को मजबूर हैं.

चुनावी मुद्दा बनकर रह गई है यह समस्या

पुलिया की इस दशा पर स्थानीय लोगों में जनप्रतिनिधियों को लेकर काफी असंतोष का भाव है. लोगों ने बताया कि हर चुनाव में यह पुलिया चुनावी मुद्दा बनता है. चुनाव प्रचार के दौरान बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं. लेकिन चुनाव खत्म होते है इसे भुला दिया जाता है.

हो रही नए पुल की मांग

लोगों ने कहा कि चुनाव दर चुनाव बीतते जा रहे हैं, लेकिन स्याही पुलिया की स्थिति और गंभीर होती जा रही है. अब तो यह इतनी जर्जर हो चुकी है कि मरम्मत कराने से भी कोई फायदा नहीं है. स्थानीय लोग इसके समानांतर नए पुल की मांग कर रहे हैं, ताकि आवागमन की समस्या का स्थायी समाधान हो सके.

क्या है स्याही पुलिया का इतिहास?

अंग्रेजों के शासन के दौरान बिहार के सीवान के नौका टोला और यूपी के चित्रसेन बनकटा के बीच स्याही नदी पर पुलिया का निर्माण कराया गया था. इसे स्याही पुलिया के नाम से भी जाना जाता है. 80 साल पहले आयात-निर्यात और आवागमन में सहूलियत के उद्देश्य से इसे बनवाया गया था. तब व्यापारिक दृष्टिकोण से इस पुलिया का काफी महत्व था.

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