बिहार के गया जिले में गौरैया के संरक्षण के लिए एक शख्स ने नौकरी छोड़ दी है. गया के तंजील उर रहमान पक्षियों को बचाने में दिन रात लगे रहते हैं. गौरैया के लिए प्राकृतिक तरीके से घोंसला बनाते हैं. गौरैया को रहने के लिए 300 से ऊपर घोंसले बनाए गए हैं. इस घोंसले की सुरक्षा के लिए उन्होंने यहां 5 सीसीटीवी कैमरे लगाये हैं. यही नहीं इस गांव में पक्षियों को मारने पर भी रोक है. इन्होंने घर के कई कमरों और बागीचों के पेड़ों पर इनका आशियाना बना दिया है. पक्षियों के आशियाने को बिल्कुल प्राकृतिक रूप-रंग दिया गया है.

तंजील रहमान के अनोखे पक्षी प्रेम का नतीजा है कि इनके घर में सैकड़ों गौरैयों ने आशियाना बनाया है. वहीं गांव से विलुप्त हो रही गौरैया का आगमन गांव के अन्य घरों में हो रहा है. आज करीब 10000 की संख्या में गौरैया के अलावा अन्य पछियां इनके बगीचे तथा घर के आसपास रहते हैं. इस गांव में पक्षियों को मारने पर रोक है. कोई भी उनका शिकार नहीं कर सकता है. तंजील उर रहमान 2018 में पक्षियों का शिकार करने वाले 38 लोगों पर प्राथमिकी भी दर्ज करा चुके हैं.
गौरैया सरंक्षण के पीछे है दिलचस्प है कहानी, जानिए यह किस्सा
तंजील बताते हैं उनके घर के बाहर एक कुआं था. जिसमें कुछ गौरैयों ने घोंसला बना रखा था. एक बार उन्होंने देखा कि गौरैये घोंसले से बाहर आये, तो कुएं के अंदर गिर गये. इसके बाद तंजील ने खुद से दो घोंसला तैयार किया. उन्होंने देखा कि गौरैया उसमें आ कर रहने लगी. तब उनका उत्साह बढ़ा तथा कुछ और घोंसले बनाये. इसी तरह धीरे-धीरे 150 से अधिक घोसलें तैयार कर लिए. घर के अंदर से लेकर बाहर बागीचे में घोंसले तैयार किये. उन्होंने बताया कि शुरुआत में कुछ एक गौरैया आती थी, लेकिन अब इनकी संख्या हजारों में पहुंच गयी हैं. गौरैया अपने घोंसले व आसपास के पेड़ों पर रहती हैं. उन्होंने बताया कि पास के कुछ गांव के लड़कों ने एयर गन से इन पक्षियों पर निशाना भी बनाया. पूरे गांव ने इसका विरोध किया, इसके बाद से अब कोई गौरैयों का शिकार नहीं करता.
तब से गौरैया इनके घर के बाहर बने घोंसले में ही रहते हैं
आज इनके घर के आसपास कई तरह की पक्षियां तथा जानवर रहते हैं. जिसमें गौरैया, मैना, कुचकुचिया, धौला तथा गिलहरी शामिल हैं. तंजील उर रहमान ने एक रोचक कहानी बताते हुए कहा कि गांव के बाहर कई शिकारी सैकड़ों की संख्या में गौरैया को फंसा कर ले जा रहा था तभी उन्होंने शिकारियों को उसे छोड़ने को कहा, जैसे तैसे करके शिकारियों ने गौरैया को छोड़ा तो गौरैया पीछे-पीछे इनके घर पर पहुंच गया. तब से गौरैया इनके घर के बाहर बने घोसले में ही रहते हैं.
पिछले 3 सालों से गौरैया दिवस के होते हैं सम्मानित
गौरैया संरक्षण में जुटे तंजील उर रहमान को बिहार सरकार के द्वारा पिछले 3 सालों से गौरैया दिवस के दिन पर प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जा रहा है. अब इलाके के लोग इन्हें स्पैरो मैन के नाम से जानते हैं. तंजील उर रहमान कहते हैं कि ऊपर वाले ने दुनिया बनायी है, तो हर जीव को जीने का हक दिया है. गौरैया को भी हक है कि वह भी इस दुनिया में रहे. इसी सोच के साथ मैंने यह शुरुआत की. गौरैया का होना पर्यावरण को संतुलित रखने व मानव जीवन के लिए बहुत आवश्यक है. मैंने तय कर रखा है कि अपना पूरा जीवन इस प्रजाति की पक्षी के संरक्षण में व्यतीत करूंगा. उनकी मौजूदगी सुकुन देती है.


