पटना : शहरी क्षेत्रों में बेतरतीब और मनमाने अंदाज में अब प्रचार से जुड़े होर्डिंग्स या फ्लेक्स नहीं दिखेंगे। इन पर अंकुश लगाने को लेकर सरकार जल्द ही एक पालिसी ला रही। इसके तहत अब अलग-अलग इलाके और खास जगहों पर होर्डिंग्स लगाने के लिए शुल्क देना होगा। अभी तक सरकार के खाते में होर्डिंग्स लगाने वालों से एक पाई तक नहीं मिल पाता है, जबकि होर्डिंग्स पथ निर्माण विभाग की सड़क और शहरी निकाय के अधीन जो क्षेत्र हैं उनके क्षेत्र में लगाए जाते हैं।
एक हजार करोड़ का राजस्व है इस पूरी कवायद में
इस संबंध में सरकार का आकलन है कि होर्डिंग्स के इस धंधे में लगभग एक हजार करोड़ रुपये का राजस्व है। जिस एजेंसी के माध्यम से होर्डिंग्स लगाई जाती है वह अपने क्लायंट से इसके लिए एक मोटी राशि वसूल करती है। कुछ मामलों में जगह को लेकर स्थानीय प्रशासन के स्तर पर अनापत्ति प्रमाण पत्र जरूर लिया जाता है पर संबंधित एजेंसी से कोई राशि नहीं वसूल की जाती है। संबंधित एजेंसी द्वारा उन क्षेत्रों में भी बड़े-बड़े होर्डिंग लगा दिए जाते हैं, जहां सड़क सुरक्षा के लिहाज से इसे लगाए जाने की अनुमति नहीं है।
नई नीति के तहत हर इलाके के लिए दर पहले से तय होगी
सरकार द्वारा जो नई पालिसी लाई जा रही उसके तहत यह पहले से तय होगा कि किसी इलाके में पथ निर्माण विभाग की जमीन या फिर किसी अन्य विभाग की जमीन पर होर्डिंग लगाने की क्या दर होगी। यही नहीं, यह भी पहले से तय रहेगा कि कितनी अवधि तक संबंधित एजेंसी द्वारा लगाया गया होर्डिंग किसी जगह पर रहेगा। कंपनी का चयन एक्सप्रेशन आफ इंटरेस्ट आमंत्रित कर किया जाएगा। अवधि खत्म होने के बाद संबंधित एजेंसी को अपने होर्डिंग हटा लेने होंगे।



