जमुई : अंग्रेज भले देश से चले गए हो परंतु गुलामी की प्रथा अभी भी जारी है। एक पिता के लिए कर्ज की राशि समय पर नहीं लौटाई तो उनके दस वर्षीय पुत्र बंधक बना लिया गया। इससे भी हेरत की बात यही रही कि पुत्र के रिहाई के लिए दंपती को अपने नवजात बच्ची की सौदा करना पड़ा। मामला का भंडाफोड हो जाने से नवजात को बचाया गया। शहर के पुरानी बाजार मुसहरी टोला के एक मजदूर दंपती की यह कहानी है, जो थाना के मुख्य द्वार पर नवजात को बैचने पहुंची थी। इस घटना की सूचना झाझा पुलिस को दी गई है।
ईंट-भट्ठा ठिकेदार से लिया था कर्ज
पुरानी बाजार के मजदूर एक वर्ष पहले रामगढ़ स्थित एक ईंट-भट्ठा ठेकेदार के पास काम करने गया था। इस दौरान कर्ज के रूप में पांच हजार रुपये लिया। साथ ही ईट भट्ठा पर सात माह तक काम किया। लेकिन उक्त राशि का कर्ज पड़ा रहा। इस बीच मजदूर वहां से किसी तरह झाझा पहुंच गया। ईंट ठिकेदार ने कर्ज की राशि की मांग की। इस पर उन्होंने राशि देने में असमर्थता व्यक्त की। ठिकेदार ने मजदूर के दस वर्षीय पुत्र को दूसरे मजदूर से अपहरण करवाकर बंधक बना लिया। बच्चे को लेकर रामगढ़ चला गया। दो दिन के बाद मजदूर को पता चला कि उसके भाई एवं भौजाई ने उसके पुत्र को ठिकेदार के पास बंधक रख दिया है। उसको छोड़ने के एवज में पैसे की मांग कर रहा है।
नवजात बच्ची को बेचने चली थी मां
मजदूर दंपती ने एक बच्ची को जन्म दिया। ठेकेदार ने बंधक बने पुत्र को पीट दिया। फोन पर रोने की आवाज उसके माता-पिता को सुनाया। मजदूर दंपती बंधक बने अपने बच्चे को छुड़ाने के लिए नवजात बच्ची को बेचने का निर्णय लिया। सौदा झाझा के एक मोहल्ले के एक वृद्ध महिला ने 30 हजार रुपया में किया। महिला ने थाना के गेट सामने दंपती को बुलाया और बच्ची को पैसा लेकर एक कागजात पर हस्ताक्षर करने को कही। मां के कलेजे में चिपका बच्चा मां को छोड़ नहीं रहा था। बच्चे के पिता ने अपनी पत्नी को नवजात को दे देने को कहा। पिता ने कहा कि उसी पैसे से अपने दस वर्षीय बेटे को छुड़ा लेंगे।




