बिहार सरकार ने लिया बड़ा फैसला, मैट्रिक पास आशा बहुओं की जल्द होगी बहाली

दरभंगा. गर्भवती महिलाओं और बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक दशक से आशा कार्यकर्ताओं की बहाली होती रही है. आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर गर्भवती महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल करती हैं. साथ ही सुरक्षित प्रसव कराने के लिए उन्हें सरकारी अस्पतालों में ले जाने के लिए प्रेरित करती हैं. इस पहल के बाद संस्थागत प्रसव के साथ-साथ बिहार में जच्चा-बच्चा मृत्यु दर में भी काफी कमी आई है. हालांकि दरभंगा जिले के विभिन्न पंचायतों में आशा कार्यकर्ताओं के काफी पद खाली हैं, जिन्हें भरने के लिए अब कवायद की जा रही है. इस कारण से विभिन्न योजनाओं में यह पीछे भी चल रहा है.

Darbhanga News: विभिन्न पंचायतों में आशा कार्यकर्ताओं के काफी पद खाली हैं.गांव की बहू बन सकती हैं ‘आशा’
बताया गया कि प्रत्येक प्रखण्ड में आशा कार्यकर्ता के पद रिक्त है. इसकी बहाली पंचायत स्तर पर मुखिया के द्वारा आमसभा के माध्यम से की जाती है. इसके लिए आवश्यक है कि आवेदिका उस गांव की बहू हो एवं कम से कम मैट्रिक पास हो. बताया गया कि जिले में लगभग 543 आशा के पद रिक्त हैं. बहाली के बाद आशा कार्यकर्ता अपने-अपने प्रखंडों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत कार्य करती हैं. स्वास्थ्य विभाग की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत कार्यों में योगदान के एवज में इन्हें मानदेय मिलता है.

बहाली के लिए तैयारी शुरू
उप विकास आयुक्त ने कहा कि जिला पंचायती राज पदाधिकरी से समन्वय स्थापित कर आशा के रिक्त स्थान को भरा जाए. आशा कार्यकर्ता की बहाली के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है. बताया गया कि दरभंगा जिले मेंपरिवार नियोजन कार्यक्रम की उपलब्धि 42 प्रतिशत, अंतरा इंजेक्शन में 75 प्रतिशत, आईयूसीडी में 38 प्रतिशत उपलब्धि रही. जिले के ओपीडी. में 03 लाख 13 हजार 748 तथा आईपीडी में 75 हजार 927 मरीजों का इलाज किया गया. इनमें क्रमशः 71 प्रतिशत एवं 54 प्रतिशत उपलब्धि रही है.

 

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