विदेशी मामलों संबंधी समिति को दी गई जानकारी में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि नालंदा विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे का विकास, जिसे कैबिनेट ने मंज़ूरी दी थी, वित्त वर्ष 2025-26 तक पूरा होने की संभावना है. संसद पटल पर हाल ही में रखी गई समिति की 19वीं रिपोर्ट में विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस साल मार्च में मंत्रालय ने नालंदा विश्वविद्यालय के लिए भारत सरकार की फंडिंग को 2025-26 तक बढ़ाया है.

विदेशी मामलों संबंधी समिति ने नालंदा विश्वविद्यालय के निर्माण में प्रगति को संतोषजनक बताया है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सभी शैक्षणिक ब्लॉकों, प्रशासनिक भवनों, प्रयोगशालाओं, सभागारों, परिसर की सुविधाओं, साइट विकास कार्यों समेत 90% से अधिक बुनियादी ढांचे को पूरा कर लिया गया है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा की 2018 के अंत में शुरू हुए फैकल्टी और कर्मचारियों और विद्यार्थी छात्रावास ब्लॉक और आवासों के निर्माण में 70% प्रगति देखी गई है.
विदेशी मामलों संबंधित कमेटी ने इस बात पर खुशी जताई कि गवर्निंग बोर्ड, एकेडमिक काउंसिल, बोर्ड ऑफ स्कूल, केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिए शैक्षणिक मानकों को स्थापित करने के लिए संस्थागत ढांचा प्रदान करते हैं और नालंदा विश्वविद्यालय नए परिसर में पूरी तरह कार्यात्मक है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में इच्छा जाहिर की है कि आवासीय भवनों से संबंधित शेष निर्माण कार्य समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाए और विश्वविद्यालय की शैक्षणिक साख को बरकरार रखा जाए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना “बौद्धिक, दार्शनिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक अध्ययन की खोज के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था” के रूप में उभरने के व्यापक उद्देश्य के साथ की गई थी. नालंदा विश्वविद्यालय के लिए बिजनेस एस्टीमेट 2021-22 में 250 करोड़ रुपए के आउटले का प्रावधान किया गया था, जिसे बढ़ाकर रिवाइज्ड ऐस्टीमेट चरण में 350 करोड़ रुपए कर दिया गया. वहीं बजट अनुमान 2022 23 में आवंटन को घटाकर ₹200 करोड़ कर दिया गया.
केंद्र सरकार ने 2021-22 तक स्थापना चरण के दौरान नालंदा विश्वविद्यालय के पूंजीगत और आवर्ती व्यय को पूरा करने के लिए 2,727.10 करोड़ रुपये का आवंटन किया था. यह आवंटन विदेश मंत्रालय के योजनागत बजट से किया जाता है.




