मुजफ्फरपुर : फ्लाई ऐश से बनी ईंट की मिट्टी, पानी व हवा के संरक्षण में अहम भूमिका है। पर्यावरण की हिफाजत के लिए फ्लाई ऐश से बनी ईंट को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापक सरकारी नीति बनी है, लेकिन नीति-नियम फाइलों तक सिमटने से फ्लाई ऐश से ईंट बनाने वाली इकाइयां बंद हो रही हैं।
ये बातें बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से बुधवार को माड़ीपुर स्थित एक होटल में आयोजित कार्यशाला में बिहार राज्य फ्लाई ऐश ब्रिक्स निर्माता संघ के महासचिव विकास कुमार ने कही।
उन्होंने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश के विपरीत एनटीपीसी की कांटी इकाई टेंडर से फ्लाई ऐश नेपाल स्थित सीमेंट फैक्ट्री के संचालकों को दे रही। आठ माह से रॉ मैटेरियल नहीं मिलने से स्थानीय फ्लाई ऐश से ईंट बनाने वाली कई इकाई बंद हो गई है। कुछ स्थानीय लोग मोटी कीमत पर पांड फ्लाई ऐश की आपूर्ति कर रहे हैं जबकि पांड फ्लाई ऐश का इस्तेमाल गड्ढे भरने के लिए किया जाता है।
एनजीटी ने एनटीपीसी को फ्लाई ऐश नि:शुल्क ईंट निर्माताओं को आपूर्ति करने का निर्देश दिया है। मौके पर डीडीसी आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि आबादी का दबाव लगातार बढ़ रहा है। इससे पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।
फ्लाई ऐश से बनी ईंट स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए अनुकूल है। मौके पर बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एसएन ठाकुर, भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता एके राय, पूर्व एमएलसी सह उद्यमी बैद्यनाथ प्रसाद, संघ के उपाध्यक्ष सुधीर कुमार, अमित कुमार, अविनाश व कुमार कोमल कुमारी ने अपनी बातें रखीं।



