पीके का RJD पर ह’मला: राजद के हाथ में बिहार की सत्ता, इसलिए हो रही जं’गलराज की वा’पसी

सीवान : जन सुराज पदयात्रा के 139वें दिन की शुरुआत सीवान के मैरवा प्रखंड अंतर्गत बड़का मांझा पंचायत स्थित पदयात्रा शिवर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। उसके बाद प्रशांत किशोर ने स्थानीय मीडिया से संवाद किया। मीडिया संवाद के दौरान उन्होंने अपने पदयात्रा का अनुभव साझा किया। आपको बता दें कि जन सुराज पदयात्रा पर निकले प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर  2022 से लगातार पदयात्रा के माध्यम से बिहार के गांवों में दौरा कर रहे हैं।

उनकी पदयात्रा अबतक 1600 किमी से अधिक की दूरी तय कर चुकी है। पश्चिम चंपारण से शुरू हुई पदयात्रा शिवहर, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज होते हुए पिछले 12 दिनों से सिवान जिले में है। सिवान में पदयात्रा अभी 15 से 20 दिन और चलेगी और इस दौरान अलग-अलग गांवों और प्रखंडों से गुजरेगी। पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर लोगों की समस्यायों को सुनते हैं और उसका संकलन करते हैं। साथ ही वे समाज के सभी सही लोगों को एक मंच पर आकर विकसित बिहार बनाने के लिए एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाने का भी आह्वान करते हैं।

प्रशांत किशोर ने मीडिया संवाद कार्यक्रम के दौरान बिहार में बढ़ रहे अपराध से जुड़े सवाल पर कहा कि जब से महागठबंधन बना है, उसके बाद जनता के मन में ये चिंता बनी हुई थी कि बिहार में लॉ एंड आर्डर की स्थिती बिगड़ेगी। वो चिंता इसीलिए थी क्योंकि बिहार में RJD के शासनकाल में लोगों ने अपराधियों का जंगलराज देखा है। आज जब RJD फिर से सत्ता में वापस आ गई है और बिहार की सत्ता की पुरी कमान राजद के हाथ में चली गई है। स्वभाविक तौर पर अपराधिक घटनाएं बढ़ेंगे, यह उनकी पार्टी का चरित्र बन है। यह 15 साल बिहार की जनता ने खुद देखा है, जब भी ये लोग सत्ता में आते हैं तो अपराध की घटनाएं बढ़ जाती है और अभी भी वही हो रहा है।

जातीय जनगणना

प्रशांत किशोर ने जातीय जनगणना के सवाल पर कहा कि जातीय जनगणना प्रशासनिक गतिविधि है, क्योंकि जातीय जनगणना का संवैधानिक आधार नहीं है। जनगणना केंद्र का विषय है तो राज्यों के पास ये अधिकार नहीं है की वो संवैधानिक आधार पर जनगणना करा सके। बिहार सरकार ने जो अधिसूचना जारी की है उसमें इसे गणना (सर्वे) कहा गया है। असल मुद्दा ये है कि जो इस गणना को करवा रहे हैं, उनका मकसद पिछड़े वर्गों को लाभ पहुंचना नहीं है। वो तो इसके सहारे राजनीतिक ध्रुवीकरण और समाज को जातीय आधार पर बांटने की कोशिश कर रहे हैं।

दलितों और मुसलमानों की गणना तो आजादी के बाद से लगातार हो रही है, लेकिन उनकी बदहाली किसी से छिपी नहीं है। गणना से कोई लाभ तभी होगा जब इसको आधार बनाकर पिछड़े वर्गों के लिए कोई योजना बने। जो लोग ये सोच रहे हैं कि गणना मात्र से ही उनकी स्थिति सुधर जाएगी तो ये भ्रम फैलाया जा रहा है। जातीय जनगणना के माध्यम से समाज में उन्माद फैलाकर उसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की जा रही है।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Discover more from Muzaffarpur News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading