गया में सिर्फ 500 रुपये में करें मैरिज हॉल बुक, लड़की की शादी बिलकुल फ्री….

गया. बढ़ती महंगाई में हर कोई कम खर्च में शादी में कम खर्च कराना चाहते हैं. आजकल बात करें मैरिज हॉल की तो उसकी बुकिंग लाखों में जाती है. हर गया में एक ऐसी जगह है जहां आप बहुत कम खर्च में शादी संपन्न करा सकते हैं. बात हो रही है गया के बांकेबाजार के बांकेधाम में स्थित शिव मंदिर की. पहाड़ी पर बसे होने के कारण इसकी सुंदरता में और चार चांद लग जाती है. भगवान शिव की महीमा के कारण यहां दूर दराज से लोग शादी के बंधन में बंधने पहुंचते हैं.

Marriage News: गया में सिर्फ 500 रुपये में करें मैरिज हॉल बुक, लड़की की शादी  बिलकुल फ्री, पढ़ें खबर - Book marriage hall in just 500 rupees in gaya for  girls weddingबांकेधाम बाबा भोले की नगरी
गया जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर बांकेबाजार मे स्थित बांकेधाम बाबा भोले की नगरी बाबा धाम के नाम से प्रसिद्ध है और यहां सावन के महीने में जल चढ़ाने बिहार के अलावे झारखंड, छत्तीसगढ और उत्तर प्रदेश के श्रद्धालु पहुंचते है. कहा जाता है यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से यहां मांगता है, उसकी मांग पूरी होती है.यही वजह है कि लग्न के समय शादी विवाह के लिए यहां भीड़ उमड़ जाती है. वन समिति के लोग पुरे पहाड़ का देखरेख करते है और यहां आने वाले लोगों को देखभाल करते है.

500 रुपया में बुक होता है सामुदायिक भवन
कहा जाता है 1988 से यहां शादी होने की परंपरा शुरु हुई है. आज भी यहां लोग शादी के लिए पहुंचते है. हर साल 1 हजार से ऊपर यहां शादियां होती है. शादी में पहुंचे लोगों के ठहरने के लिए धर्मशाला और सामुदायिक भवन भी बनाया गया है. यहां शादी के लिए वन समिति के पास विवाह शुल्क का पर्चा कटवाना पडता है. वर पक्ष के लिए 500 रुपया देय है जबकि वधु पक्ष से एक भी रुपया नहीं लिया जाता. वहीं कोई यहां धर्मशाला लेना चाहते है तो उनके लिए अलग अलग शुल्क निर्धारित किए गये है.

प्रथम तल्ले के बरामदा के लिए 250 रुपया, द्वितीय और तृतीय तल्ला के लिए 900 रुपया जमा करना होता है, जबकि सामुदायिक भवन के लिए 500 रुपया देय है. द्वितीय और तृतीय तल्ला पर 6 कमरे दिए जाते है. यहां शादी होने के बाद विवाह प्रमाण पत्र भी दिए जाते है, इसके लिए वर का उम्र 21 वर्ष तथा वधु का उम्र 18 वर्ष होना अनिवार्य है. विवाह के लिए वर वधु का आधार कार्ड या वोटर कार्ड लाना आवश्यक है.

विवाह के पश्चात मैरेज सर्टिफिकेट
वन समिति के अध्यक्ष अजय पासवान ने बताया कि यहां 1987-88 से शादी ब्याह का परंपरा शुरु हुआ है, जो आज भी जारी है. जहां काफी दूर दराज से लोग विवाह के पवित्र बंधन मे बंधने आते है. यहां भगवान शिव और सूर्य भगवान की मंदिर है. जिसकी गाथा दूर दूर तक है. लोग यहां मन्नते मांगते है और पूरा होने पर शादी विवाह या सावन के महीने मे जल चढाने जरुर पहुंचते हैं. स्थानीय अरुण कुमार पांडे ने बताया, शादी विवाह को लेकर यहां विशेष व्यवस्था रहती है. सामुदायिक भवन के अलावे धर्मशाला बनाया गया है. विवाह के लिए वर पक्ष के लिए 500 रुपये शुल्क लगता जबकि वधु पक्ष से पैसा नहीं लिया जाता. विवाह के पश्चात मैरेज सर्टिफिकेट भी दिया जाता है.

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