गया : अगर आपको केस मुकदमा जीत सुनिश्चित करनी है तो आप इस मंदिर में पूजा करें. माता रानी की कृपा से आप विजय होंगे. गया शहर के महारानी रोड पहसी लेन स्थित बगलामुखी मंदिर दस महाविद्या में आठवीं सिद्ध महाविद्या माता बगलामुखी का भव्य मंदिर विराजमान है.
कहा जाता है कि 89 वर्ष पूर्व बक्सर जिले के डुमरांव से आए बाबा भवानी नंद मिश्र ने मंदिर में तांत्रिक विधि से बगलामुखी ब्रह्मास्त्र यंत्र की स्थापना की थी. इसके बाद अष्टधातु से निर्मित मां बगलामुखी की प्रतिमा विराजमान हुई. यहां मां की प्रतिमा चतुर्भुज है. एक हाथ में मुग्दल दूसरे हाथ में वज्र, तीसरे हाथ में नागपाश और चौथे हाथ से मां शत्रु के जीवा खींच रही है. मान्यता है की इस मंदिर में केस मुकदमा से पीड़ित व्यक्ति अगर माता कादर्शन कर पूजा अर्चना करे तो मनोकामना जरूर पूर्ण होती है.उनकी जीत होती हैं.
माता की प्रतिमा 4 फीट की, माथे पर सोने का मुकुट
इस मंदिर में माता पर्वती का उग्र रूप है. जो अपने बाएं हाथ से शत्रु का स्तंभन कर रही है. माता का आसन प्रेत है, तो पावन चरण अष्ट कमल पर स्थापित है. मंदिर में शत्रु नाश वाक् सिद्धि, वाद-विवाद, राज सत्ता, वैवाहिक उद्देश्य व विजय प्राप्ति के लिए उपासना सर्वोत्तम मानी गई है. माता की प्रतिमा करीब 4 फीट की है और उनके सर पर सोने का मुकुट है. माता स्वर्ण आभूषण से सुसज्जित है. देश के गिने-चुने शहरों में है मां बगलामुखी का मंदिर है, जिसमें गया का यह मंदिर भी शामिल है. मध्यप्रदेश में दो जगह पर और हिमाचल प्रदेश में भी माता का मंदिर है.

वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को है जयंती
मंदिर के पुजारी नागेंद्र कुमार मिश्र बताते हैं वैशाख शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानी 28 अप्रैल को मां बगलामुखी की जयंती है इस दिन सर्वप्रथम माता का श्रृंगार व विधि पूजन होता है इसके बाद 1008 पीले पुष्प से सहस्त्रार्चन किया जाएगा. माता का अभिषेक भी होगा.कन्या पूजन के बाद हवन व आरती की प्रक्रिया पूरी होगी और शाम में प्रसाद वितरण के साथ मां बगलामुखी जयंती महोत्सव का समापन होगा. बगलामुखी अनुष्ठान में 36 मंत्रों का जाप होता है. हिंदी में विराजमान माता के चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट रहती है पर परिस्थिति अनुसार माता के चेहरे का भाव बदल जाता है. सच्चे मन से मां बगलामुखी के सामने मांगी गई मुरादे पूरी होती है.