बेतिया: शनिवार बेतिया के करगहिया पंचायत के हीरा साह की पत्नी बसंती देवी हाथी पाँव से पीड़ित हैं। हाथी पाँव के कारण उन्हें घरेलू कार्य करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। घर में विकलांगों की तरह अभिशापित जीवन जीने की मजबूरी हो गई है। उन्होंने बताया कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे हाथी पाँव जैसे रोग से ग्रसित होकर विकलांग व्यक्तियों की तरह जीवन व्यतीत करना पड़ेगा। वह कहती हैं कि कभी कभी लगता है कि पिछले जन्म का फल ही भोग रही हूँ। उनके मुताबिक 30 सालों पूर्व कब बाएं पैर में हाथी पांव फाइलेरिया हुआ पता हीं नहीं चला।
फाइलेरिया से धीरे-धीरे पैर में दर्द व सूजन बढ़ गई थी। पति ने साथ देते हुए बेतिया के सरकारी औऱ प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराया पर फायदा नहीं हुआ। लोगों के कहने पर झाड़-फूँक भी कराया फ़िर भी कोई लाभ नहीं हुआ। रोग के बारे में जब उन्होंने बेतिया के सरकारी डॉक्टरों से पूछा तो उन्होंने बताया कि मच्छर के काटने से इस रोग का परजीवी शरीर में दाखिल होता है। जिसका असर कई वर्षों बाद होता है,। अब इसका (हाथी पाँव) कोई इलाज नहीं है। यह सुनकर उन्हें बहुत निराशा हुई। वह कहती हैं- तब मुझे एहसास हुआ कि अगर समय पर मैंने भी सर्वजन दवा का सेवन किया होता तो आज ये दिन देखना नहीं पड़ता।
तमाम उलझनों को झेलते हुए भी नहीं हारी हिम्मत
फाइलेरिया (हाथी पाँव) जैसे गम्भीर रोग से ग्रसित होकर,घर आँगन की कठिनाइयों का सामना करते हुए, जीवन की तमाम उलझनों को झेलते हुए भी बसंती देवी ने हिम्मत नहीं हारी है,। 55 वर्ष की उम्र में भी उनके चेहरे पर पर लाचारी दिखाई नहीं देती है । क्योंकि उन्होंने ठान ली है कि अब अपने आसपास ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखूंगी।

सर्वजन दवा खाने के लिए वह करती हैं प्रेरित
बसंती जी ने बताया कि मैंने भी ठान ली है कि मैं तो इस रोग से ग्रसित हूँ पर अब अपने गाँव समाज के लोगों को फाइलेरिया से बचाव के बारे में जागरूक करूँगी। गाँव में आशा व स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा सर्वजन दवा सेवन के लिए प्रेरित करने के काम में मैं भी सहयोग करती हूं। साथ ही नजदीकी क्षेत्रों में फाइलेरिया से ग्रसित लोगों को
स्वास्थ्य कर्मियों के साथ एमएमडीपी किट के प्रयोग औऱ साफ- सफाई के तौर तरीके बताती हूँ। इसके उपयोग से राहत मिलती है। साफ-सफाई रखने से इंफेक्शन का डर नहीं रहता और सूजन में भी कमी रहती है।