नालंदा:दो बार असफल होने के बाद भी नहीं मानी हार, 29 साल में बने 2463 करोड़ की कंपनी के मालिक

नालंदा: बिहार के नालंदा के रहने वाला 29 साल के मिस्बाह अशरफ ने बार-बार फेल होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारा. उसकी कोशिशों ने उसे आखिरकार सफलता दिला ही दी और महज 29 साल की उम्र में वो ‘फोर्ब्स 30 अंडर 30’ की लिस्ट में शामिल हो गए. छोटी सी उम्र में ही मिस्बाह अशरफ ने बड़ी कामयाबी हासिल की. दो बार फेल होने के बाद उन्होंने दो साल में 2463 करोड़ रुपए की फिनटेक कंपनी खड़ी कर दी है. मिस्बाह अशरफ के पिता अशरफुद्दीन और मां बिल्किस बानो ने बताया कि वह मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं. पिता मिडिल स्कूल के प्रिंसिपल के पद से साल 2019 में रिटायर्ड हुए हैं.

Thumbnail imageपढ़ाई में थे जीनियस

वह मूल रूप से इस्लामपुर प्रखंड अंतर्गत मौलानाचक गांव के रहने वाले हैं. मिस्बाह के पिता घर में सबसे बड़े थे. उनके उपर भाई-बहनों के साथ उसी छोटी सी रकम में बच्चों और परिवार का भी ख्याल रखना होता था. वह खुद ही बिहार शरीफ मुख्यालय के कागजी मोहल्ले में किराए के मकान में रहते थे. मिस्बह चार भाई बहनों में दूसरे नंबर पर हैं और शुरू से ही पढ़ाई में जीनियस रहे हैं. स्कूल के वक्त से शिक्षा के क्षेत्र में कई सम्मान पा चुके हैं. मिस्बाह ने साल 2009 में डीएवी पब्लिक स्कूल पावापुरी मोड़ से 10वीं में फर्स्ट डिवीजन से तो वहीं 2011 में समस्तीपुर जिला के संत जोसेफ पब्लिक स्कूल से 12वीं फर्स्ट डिवीजन से पास किया फिर उसके बाद 2012 में उन्होंने स्नातक किया.

बीच में ही किया कॉलेज ड्रॉप आउट

मिस्बाह ने बी. टेक कंप्यूटर साइंस में दाखिला लिया. शुरू से ही उन्होंने मन बना लिया था कि खुद का कुछ करना है. जिसके बाद वहां उनकी दोस्ती आईआईटी दिल्ली के स्टूडेंट्स से हुई फिर उन्होनें पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2014 में मिस्बाह रोड एक्सीडेंट में जख्मी हो गए जिसके बाद उन्हें कॉलेज बीच में ही ड्रॉप आउट करना पड़ा था. उसके बाद डॉक्टर ने उन्हें एक साल बेड रेस्ट की सलाह दी. जिसके बाद एक से दो माह के बीच उन्हें यहां मन नहीं लगा और वह वापस दिल्ली चले गए. जिसके बाद मिस्बाह का खयाल वहां मां के अलावा दोस्तों ने रखा है. आज भी मिस्बह के दोस्त उनके साथ रहते हैं. उन्होंने 2012- 17 सेशन में स्नातक पूरा किया.तीसरे वेंचर ने दिलाई सफलता

 मिस्बाह बताते हैं कि कॉलेज ड्रॉप आउट होने के बाद उन्हें लगा कि सफलता बिजनेस से ही मिल सकती है. इसलिए आईआईटी दिल्ली के अपने एक दोस्त के साथ मिलकर उन्होंने सितंबर 2013 में सोशल पेमेंट वेंचर सिबोला की शुरुआत की. ये वेंचर लाइसेंस के चक्कर में फंसा हुआ था. सरकार से उन्हें पेमेंट लाइसेंस नहीं मिल पाया. इतना ही नहीं उनके सामने फोन पे, पेटीएम जैसे प्रतिद्वंदी थे. मिस्बाह ने इंतजार करने के बजाए आगे बढ़ने का फैसला किया. उन्होंने दूसरा वेंचर साल 2017 में शुरू कर दिया. इस बार उन्होंने फैशन और ब्यूटी प्लेटफॉर्म की शुरुआत की. मार्सप्ले ने दो राउंड की फंडिंग भी हासिल की, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान उसे काफी नुकसान हुआ. उन्होंने कंपनी को फॉक्सी के हाथों बेच दिया. मिस्बाह ने साल 2021 में अपना तीसरा वेंचर जार शुरू किया.

फोर्ब्स 30 अंडर 30 में हुए शामिल

आज उनके फिनटेक स्टार्टअप ‘जार’ की चर्चा सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी हो रही है. जार की शुरुआत गोल्ड निवेश के साथ शुरू हुई. साल 2023 के लिए जारी ‘फोर्ब्स 30 अंडर 30’ सूची में मिस्बाह अशरफ को जगह मिली है. फोर्ब्स की इस सूची में शामिल होने वाले मिस्बाह बिहार के इकलौते युवा रहे. अपने स्टार्टअप जार के जरिए वो लोगों को छोटी बचत करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. उनके इस ऐप ने 11 मिलियन यूजर्स का आंकड़ा पार कर लिया है. इस फिनटेक फर्म ने 58 मिलियन डॉलर के लगभग निवेश हासिल किया. स्टार्टअप के दो साल बाद उन्हें 22.6 करोड़ डॉलर के करीब का निवेश मिला, बेंगलुरु में स्थित जार कंपनी की वैल्यूएशन 300 करोड़ डॉलर यानी करीब 2463 करोड़ के पास पहुंच गई.

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