सावन शिवरात्रि आज और कल सोमवती अमावस्या, जानें पूजा विधि; दूर होंगे सारे दुख-दर्द

धर्म शास्त्रों के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है। उसमें भी सावन में पड़ने वाली सोमवती अमावस्या और शिवरात्रि का विशेष महत्व है। आज शनिवार को शिवरात्रि है और सोमवार को सोमवती अमावस्या है, जो शिव पूजा के लिए बेहद खास दिन है।इस दिन भक्त अपने निकटतम शिवालयों के शिवलिंग पर जलाभिषेक तो करते ही हैं। वहीं, शिवरात्रि को देवाधिदेव महादेव शिव की विशेष पूजा और जागरण में भी विश्वास रखते हैं।

Somvati Amavasya 2022: 30 साल बाद बन रहा है अद्भुत संयोग, पितरों को प्रसन्न  करने के लिए करें ये उपायइस मामले में पंडित अमरेंद्र कुमार मिश्र ने बताया कि शुक्रवार की शाम को 07 बजकर 54 मिनट से त्रयोदशी तिथि आरंभ हो गई है, जो आज शनिवार की शाम 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगी। महाशिवरात्रि पर शिव मंदिरों में भगवान शिव की पूजा पूरे दिन और रात चलेगी। इसके तहत प्रदोष काल की पूजा शनिवार की शाम 8:20 बजे के पहले ही की जाएगी, क्योंकि इसके बाद भद्रा प्रारंभ हो जा रहा है, जो रविवार की प्रातः 8:47 बजे समाप्त हो रहा है। सो भद्रा समाप्ति के बाद रविवार को भक्त इसके बाद किसी भी समय पारण कर सकते हैं।

रात्रि जागरण में शिव मंत्र का करें जप

पातालेश्वर मंदिर के पुजारी रामेश्वर पंडित ने बताया कि रात्रि जागरण में ऊं नमः शिवाय और महामृत्युंजय मंत्र का जप करना और रुद्राभिषेक अनुष्ठान को बहुत ही शुभ माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय हलाहल विष को पी लिया था और गले से नीचे नहीं जाने दिया तो उनके शरीर में एक विशेष प्रकार की अग्नि की जलन आरंभ हो गई थी।

शिव की इसी व्याकुलता को शांत करने के लिए देवता और भक्तगणों ने पवित्र जल से उनका अभिषेक किया था। तब जाकर उनकी व्याकुलता और उस विष का प्रभाव समाप्त हुआ। कहा जाता है कि देवाधिदेव शिव ने खुश होकर देवताओं और अपने भक्तों को विश्व कल्याण का वरदान दिया था और तभी से सावन में जलाभिषेक करने का प्रचलन चला रहा है।

सावन की सोमवती अमावस्या का भी विशेष महत्व

सोमवार को सोमवती अमावस्या है। सावन में इसे विशेष माना गया है। आचार्य ने बताया की इस दिन सुहागिन महिलाएं पीपल वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करके विधानपूर्वक सूक्ष्म में पूजा करती हैं। व्रत करनेवाली महिलाएं यथासंभव 108, 51 या 21 बार वृक्ष की परिक्रमा कर अपने सौभाग्य की वृद्धि का कामना करती है। वहीं शिवालयों में जलाभिषेक करने का भी विशेष महत्व है।

 

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