उमस भरी गर्मी की चपेट में बिहार, कम बारिश की वजह से प्रदेश में सूखे का संकट

पटना: पूरा बिहार इन दिनों उमस भरी गर्मी की चपेट में है और मानसून के रूठ जाने की वजह से प्रदेश में सूखे पर संकट भी बन गया है. हालांकि, मौसम विज्ञान केंद्र पटना की मानें तो राज्य में 29 जुलाई से बारिश का सिस्टम सक्रिय होने का आसार बन रहा है. 30 जुलाई को पटना समेत पूरे बिहार में बारिश का पूर्वानुमान है.

4 साल में सबसे कम हुई रोपनी, किसान बोले- सूख रहे हैं धान के पौधे | In Nalanda Planting was the lowest in 4 moves, farmers said - paddy plants are drying up - Dainik Bhaskarजुलाई महीने में दर्ज हुई कम बारिश

जुलाई के महीने में अब तक सामान्य से 47% कम बारिश दर्ज की गई है. जुलाई के महीने में अब तक 462.9 मिलीमीटर बारिश हो जानी चाहिए थी, लेकिन अभी तक 243.4 मिलीमीटर बारिश ही दर्ज की गई है, जो सामान्य से 219.5 मिली मीटर कम है.

अभी गर्मी से नहीं मिलेगी राहत

मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार बीते 24 घंटे में बक्सर में सर्वाधिक अधिकतम तापमान 39.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. वहीं पटना में अधिकतम तापमान 35.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है. शुक्रवार को एक बार फिर से पटना में बारिश की कोई अच्छी स्थिति नहीं बन रही है. जिस वजह से लोगों को उमस भरी गर्मी परेशान करेगी.राज्यभर में पूर्वा हवा का प्रवाह

मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो अभी के समय पूरे राज्य भर में पुर्वा हवा का प्रवाह बना हुआ है. इस हवा से वातावरण को नमी मिलती है और बारिश की संभावना बनती है. लेकिन वर्तमान के पूर्व से मिलने वाली नमी में इतनी ताकत नहीं है, जो ऊपर के वातावरण तक पहुंच सके. इसी कारण राज्य में बारिश नहीं हो रही है.

कुछ भाग में वज्रपात और बारिश का पूर्वानुमान

मौसम विभाग की मानें तो वर्तमान मौसमी विश्लेषण के अनुसार मानसून द्रोणी रेखा बीकानेर, कोटा, रायसेन, दुर्ग एवं दक्षिण उड़ीसा और निकटवर्ती उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश पर बने निम्न दबाव वाले क्षेत्र के केंद्र से गुजरते हुए पूर्व दक्षिण पूर्व की ओर पूर्व मध्य बंगाल की खाड़ी तक समुद्र तल से औसत 1.5 किलोमीटर ऊपर तक फैला हुआ है. इसके प्रभाव से अगले 24 घंटे के दौरान प्रदेश के दक्षिणी भाग में मौसम पूरी तरह से शुष्क रहने की संभावना है. हालांकि, प्रदेश के उत्तर पूर्व भाग के कुछ स्थानों पर मेघ गर्जन और वज्रपात के साथ हल्की वर्षा होने का पूर्वानुमान है.

धान की रोपाई पर बड़ा संकट

बारिश में कमी की वजह से प्रदेश में इस बार धान की रोपाई पर गंभीर असर हुआ है. बिहार में करीब 35 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान की खेती की जाती है. अब तक करीब 8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र यानी कि करीब 22 प्रतिशत ही धान की रोपाई हुई है. कृषि विभाग के द्वारा 31 जुलाई तक धान की रोपनी के लिए आदर्श समय माना गया है. बारिश नहीं होने से किसानों की परेशानी बढ़ गयी है. हालांकि कई जिलों में 30% तो कई जिलों में 50% ही धान के बिचड़े की रोपाई हो पाई है. जितनी भी रोपाई हो पाई है, सभी बोरिंग के सहारे ही हो पाई है.

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