बाबा गरीबनाथ मंदिर का गजब है इतिहास, कैसे नाम पड़ा बाबा गरीबनाथ? जानें वर्षों पुरानी ये कहानी

मुजफ्फरपुर: मुजफ्फरपुर स्थित बिहार के प्रसिद्ध बाबा गरीबनाथ मंदिर में रात से ही लोग लाइन में दिखे. काफी संख्या में भक्तों ने बाबा गरीबनाथ पर जलाभिषेक किया. इस दौरान अरघा के द्वारा जलाभिषेक किया गया.

Akhil Bharatiya Aditya Parishad " Muzaffarpur " - BABA GARIB NATH KA ADBHUT  SINGAR !! MUZAFFARPUR !! Akhil Bharatiya Aditya Parishad my page "Akhil  Bharatiya Aditya Pariwar " share and like... Akhilबिहार के सबसे प्रसिद्ध बाबा गरीबनाथ में हर साल लाखों की संख्या में भक्तों के द्वारा बाबा पर जलार्पण किया जाता है. यहां लोग पहलेजा घाट से गंगा जल लेकर हाजीपुर के रास्ते मुजफ्फरपुर पहुंचते हैं और बाबा का जलाभिषेक करते हैं. भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन और मंदिर कमेटी की ओर से पूरी व्यवस्था की जाती है. रास्ते में कांवरियों के लिए जगह-जगह आराम करने और सेवा दलों एवं प्रशासन के द्वारा उन्हें पानी, शरबत और अन्य तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं. हर बार की तरह इस बार भी सीसीटीवी लगवाई गई है ताकि पूरी नजर रखी जा सके.

Garib Nath Mandir

क्या है बाबा गरीबनाथ मंदिर का इतिहास?

एक बार मंदिर में एक व्यक्ति जो बाबा भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त था वह सोया हुआ था. उसने बेटी की शादी तय कर दी थी लेकिन खर्चों को नहीं जुटा पाने की वजह से वह परेशान था. जब वह सोया था तो उसके सपने में भगवान शिव आए और उन्होंने कहा कि जाओ तुम्हारी बेटी की शादी हो जाएगी. इसके बाद वह व्यक्ति जब अपने घर पहुंचा तो उसने देखा कि उसके घर में बेटी की शादी से जुड़े सभी सामान आ चुके हैं.

Baba Garib Nath Temple in Muzaffarpur District Bihar (बाबा गरीब स्थान मंदिर  ) - YouTubeयहां पूरी होती है भक्तों की हर मनोकामना

भोले के भक्त ने अपनी पत्नी से पूछा कि सामान कहां से आया तो इस पर जवाब मिला कि आपने ही तो भिजवाया है. इसी के बाद से यहां बाबा की पूजा गरीब नाथ के नाम से की जाती है. मान्यताओं के अनुसार यहां जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ कोई भी मन्नत मांगता है उसे बाबा जरूर पूरा करते हैं. मंदिर के पुजारी महंत अभिषेक पाठक ने बताया कि इसका इतिहास सौ साल से भी पुराना है. यहां एक बरगद का पेड़ था. कहा जाता है कि पेड़ की कटाई के दौरान बाबा स्वयं प्रकट हुए थे जिसके बाद से यहां उनकी पूजा शुरू हो गई. धीरे-धीरे मंदिर का जीर्णोद्धार होता गया और आज लाखों लोग यहां आते हैं. उन्होंने कहा कि उसी वक्त से उनके पूर्वज यहां पूजा करवाते आ रहे हैं. महंत अभिषेक पाठक ने मंदिर का इतिहास बताया जो गजब का है.

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