भारत का इकलौता मठ, जहां राधा-कृष्ण के साथ गुरु ग्रंथ साहिब की भी होती है पूजा

मुजफ्फरपुर: भारत विविधताओं का देश है. विभिन्न जाति, धर्म, पंथ और संप्रदाय के लोग एक साथ इस देश में रहते हैं. यही इस देश की पहचान है. इसी विविधता का जीवंत उदाहरण कई दशकों से मुजफ्फरपुर के मनियारी मठ में देखने को मिल रहा है. दरअसल मुजफ्फरपुर के महंत मनियारी में स्थित मनियारी मठ देश का एक ऐसा मंदिर है, जहां राधा – कृष्ण के साथ गुरु ग्रंथ साहिब की भी पूजा होती है. मंदिर में एक ओर जहां राधा – कृष्ण का मंदिर है, वहीं मंदिर के एक कमरा में गुरु ग्रंथ साहिब भी रखा है.

सिख धर्म से जुड़ी दुर्लभ पांडुलिपि है मौजूद

मनियारी मठ की व्यवस्था देखने वाले, रामाकांत मिश्र कहते है यह बेहद प्राचीन मठ है. यहां गांव के संत मनीराम की जिंदा समाधि भी है. इसके साथ ही मठ परिसर में राधा कृष्ण का मंदिर है. मंदिर में रोजाना पूजा-पाठ होती है. रमाकांत मिश्र कहते है इन सबके साथ ही मंदिर में एक दुर्लभ पांडुलिपि भी रखी है. जिसका संबंध सिख धर्म से है. रमाकांत बताते हैं कि सिख धर्म का यह ग्रंथ मंदिर परिसर में ही रखा हुआ है. जिसको लेकर मान्यता है की यह गुरु नानक देव जी ने मनियारी में आकर स्वयं लिखा था. साथ ही यह ग्रंथ सिख संप्रदाय के लिए बेहद पूजनीय है. इसे गुरुमुखी भाषा में लिखी गई है.

यह हजारों साल पहले का ग्रंथ है

मुजफ्फरपुर के इस मनियारी मठ में इस दुर्लभ गुरु ग्रंथ साहिब की सेवा और पूजा के लिए एक युवक की तैनाती की गई है. गुरु ग्रंथ साहिब का देखभाल और पूजा-पाठ करने वाले अविनाश बताते हैं कि हर धर्म का सम्मान करना ही हिंदुत्व है. ऐसे में उनके लिए गर्व की बात है की उन्हें गुरु ग्रंथ साहिब के सेवा करने का मौका मिलता है. अविनाश कहते है उन्हें गुरुमुखी भाषा तो नहीं आती जो पढ़कर बता सके की ग्रंथ में क्या लिखा है? आगे अभिनाश कहते हैं कि लेकिन यह गुरु ग्रंथ साहिब निश्चित ही मानवता का पाठ लोगों को पढ़ाने के लिए लिखा गया होगा. अभिनाश कहते हैं यह हजारों साल पहले का ग्रंथ है, जिसे मनियारी मठ में सहेज कर रखा गया है.

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