सहरसा: हमर किस्मत हराएल कोसी धार में, हम तअ मारै छी मुक्का कपार में… हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलने वाले कोसी तंटबंध के अंदर निवास करने वाले लोगों को आप अक्सर यह गीत गुनगुनाते सुन सकते हैं. इसका अर्थ यही है कि मेरी किस्मत तो कोसी नदी में खो गई. मैं तो बस अपने भाग्य को ही कोसता हूं. वर्षों से बाढ़ की मार झेलते हुए शापित जीवन जीने को मजबूर दियारा के लोगों को आज तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है, विकास नहीं. एक बार फिर से कोसी दियारा क्षेत्र में बाढ़ की संभावना प्रबल हो गई है.
मानसून के सक्रिय होने के बाद एक तो वैसे ही नदियां उफान पर थी. अलबत्ता कोसी बराज से 4.66 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. इलाके में घरों का कटाव शुरू हो गया है. लोग ऊंचे स्थानों की तलाश शुरू करने लगे हैं.तीन बार कट चुका है अनिल का घर
महिषी प्रखंड अंतर्गत राजनपुर पंचायत का काफी हिस्सा कोसी तटबंध के अंदर में है. यहां के अनिल कुमार पासवान बताते हैं कि कटाव तेज होने के कारण उनका आंगन कोसी नदी में समा चुका है. धीरे-धीरे यह कटाव बढ़ता जा रहा है. इस वजह से अब डर का माहौल बन चुका है. अब हम लोग घर का सारा सामान बाहर निकालकर ऊंचे स्थानों पर जाने की तैयारी कर रहे हैं. तीन बार हम लोगों का घर कोसी नदी में समा चुका है.
लोगों से की जा रही ऊंचे स्थानों पर जाने की अपील
कोसी बराज से 4.55 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद जिला प्रशासन और जल संसाधन विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड में है. ऐसे में नवहट्टा और महिषी प्रखंड अंतर्गत कोसी ततबंध की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. मंगलवार सुबह से ही बांध पर अधिकारियों की गाड़ी की सायरन की आवाज लोगों को सुनाई देने लगी. गांव से बाहर निकल जाने को लेकर माइकिंग करवाया जा रहा है.
एसडीआरएफ की टीम तटबंध पर तैनात
वहीं एसडीआरएफ की टीम भी तटबंध पर तैनात कर दिया गया है. ऐसे में नदी किनारे बसे लोग अपने-अपने घरों को कटने से बचाने के लिए तोड़ने में जुट गए हैं. जिलाधिकारी वैभव चौधरी ने बताया कि स्थिति अभी सामान्य है. लेकिन बाढ़ की संभावना बनी हुई है. लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की जा रही है.