बचपन में पढ़ी होगी मगरमच्छ और हाथी की कहानी, बिहार के इस जिले में श्री हरि ने की थी गजराज की रक्षा!

वैशाली : बचपन में आप सभी ने हाथी और मगरमच्छ की कहानी तो जरूर पढ़ी होगी. जब नदी में पानी पीने गए हाथी को मगरमच्छ पकड़ लेता है, तब वह भगवान विष्णु से रक्षा की गुहार लगाता है और भगवान अपने सुदर्शन चक्र से मगरमच्छ का वध कर हाथी के प्राणों की रक्षा करते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं वो जगह कौन सी थी, जहां यह घटना हुई थी?

पढ़ी होगी मगरमच्छ और हाथी की कहानी, जानते हैं श्री हरि ने कहां की थी गजराज  की रक्षा! यहां है वह स्थान - Where lord vishnu had to kill the crocodile  withबिहार में वैशाली के हाजीपुर स्थित कौनहारा घाट को धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि कौनहारा घाट पर श्री हरि विष्णु अवतरित हुए थे. उन्होंने गज अर्थात हाथी की रक्षा मगरमच्छ से की थी. हाथी की गुहार पर गरुड़ पर विराजमान भगवान विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने सुदर्शन चक्र से मगरमच्छ का वध कर हाथी को उसके चंगुल से मुक्त कराया था. मान्यता है कि इस घाट पर स्नान करने से मनोकामनाएं तो पूरी होती ही हैं, मुक्ति भी प्राप्ति होती है. इस घाट के दूसरे तट पर सोनपुर का प्रसिद्ध बाबा हरिहरनाथ मंदिर है. दोनों ही घाटों पर गज (हाथी) और ग्राहक (मगरमच्छ) की मूर्ति स्थापित की गई है. घाट पर कई प्राचीन मंदिर और धार्मिक आश्रम मौजूद हैं.

यहां लगता है कार्तिक पूर्णिमा का प्रसिद्ध मेला
कहा जाता है कि हाथी को अपनी शक्ति का बहुत घमंड था. हाथी को लगता था कि वह अकेले ही मगरमच्छ पर विजय प्राप्त कर लेगा, लेकिन जब वह मगरमच्छ के चंगुल में फंसा तब उसके प्राण संकट में आ गए. इसके बाद उसने अपने आराध्य देव विष्णु का आह्वान किया था. हाजीपुर के गंगा-गंडक संगम स्थल पर हुई इस लड़ाई के कारण इस जगह का नाम कौनहारा घाट पड़ गया. इसी घाट पर बिहार का प्रसिद्ध कार्तिक पूर्णिमा मेला भी लगता है, जहां हजारों की संख्या में लोग गंगा स्नान करने के साथ तंत्र साधना और तंत्र से संबंधित विभिन्न क्रियाओं के लिए आते हैं. यही नहीं देश-विदेश से भी लोग यहां का जल भरने आते हैं.

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