शिक्षक दिवस विशेष: ऐसे शिक्षक जिनकी आंखों की दुनिया है अंधेरी; मगर उंगलियों से फैलाते हैं ज्ञान की ज्योति

मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर के सकरा थाना क्षेत्र के सुंदरपुर के रहने वाले शिक्षक मुकेश ठाकुर क्षेत्र के गणित के सबसे बेहतर शिक्षकों में गिने जाते हैं. मुकेश ठाकुर जब 18 साल के थे तभी आंखों की बीमारी में उनकी दोनों आंखे चलीं गईं. इंजीनियरिंग का सपना देखने वाले मुकेश ठाकुर आंखों की रोशनी जाने से हताश हो गए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.

रोशनी जाने के कुछ दिन बाद ही उन्होंने गांव के दो बच्चों को मैट्रिक में गणित पढ़ाया. पूरे गांव में सिर्फ वो दोनों बच्चे ही उस वर्ष पास हुए,जबकि बाकी सभी फेल हो गए. उसके बाद मुकेश ठाकुर ने ट्यूशन पढ़ना शुरू किया. मैट्रिक के बच्चों को सिर्फ गणित पढ़ाते हैं, उनसे पढ़े बच्चे आज कई बड़े पदों पर हैं.

मुकेश ठाकुर 1996 से लगातार ट्यूशन पढ़ाते हैं, उनके घर पर सुबह शाम बच्चे पढ़ने आते हैं, वो काफी संतुष्ट हैं. क्योंकि मुकेश ठाकुर मौखिक रूप से ही समझाकार बड़े बड़े सवाल को आसानी से हल करना सिखा देते हैं. जरूरत पड़ने पर अपने हाथों पर ज्यामितीय आकृति भी बनाकर समझाते हैं.शिक्षक मुकेश ठाकुर बताते हैं कि शुरू में लोगों को भरोसा नहीं होता था कि मैं आंख से नहीं देखने के बावजूद भी कैसे पढ़ा लेता हूं. ऐसे में लोग मेरी परीक्षा लेने पहुंचते थे. कई छात्र मेरी आंखों की तरफ कलम चुभाने की कोशिश करते थे, ताकि उन्हें सच पता चल सके. हालांकि, आज वो सभी बच्चे मेरे प्रिय छात्रों में शुमार हैं और सभी बेहतर पद तक जा चुके हैं.

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