बिहार की शिक्षा का ये है हाल, बच्चों के पास अपना विद्यालय तक नहीं

बिहार : राज्य के शिक्षा विभाग में सुधार लाने के लिए लगातार अपर मुख्य सचिव केके पाठक नए नए फरमान जारी कर रहे हैं. अधिकारिओं को कई सख्त निर्देश भी दिए गए हैं. वहीं, दूसरी तरफ इसकी असल सच्चाई कटिहार से सामने आ रही है. जहां बच्चों के पढ़ने के लिए विद्यालय तक नहीं है. बच्चे आपदा विभाग के एक पुराने से जर्जर गोदाम में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. हैरानी की बात तो ये है कि स्कूल में कुल 307 बच्चे पढ़तें हैं. जिन्हें पढ़ाने के लिए केवल चार ही शिक्षक हैं. बस भगवान भरोसे ही ये स्कूल चल रहा है.

economic survey report hunger for education increased among children of  deprived society sc and st enrollment increased this much in 8 years -  आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट: वंचित समाज के बच्चों के बीचस्कूल में केवल चार ही हैं शिक्षक 

इस तस्वीर को देखकर आपको शायद यकीन ना हो कि बिहार में बच्चों के पढ़ने के लिए अभी भी अपना विद्यालय नहीं है. पठन पाठन के लिए बच्चों को आपदा विभाग के एक पुराने से जर्जर गोदाम में पढ़ाई करनी पड़ती है. जी हां आपने सही सुना, यह कटिहार के मनिहारी के बोलिया का नया प्राथमिक विद्यालय है. जिसमें कुल 307 बच्चे पढ़ते हैं और इन्हें पढ़ाने के लिए केवल चार ही शिक्षक हैं. बच्चों के पास पठन-पाठन के लिए अपना विद्यालय नहीं होने के कारण यह आपदा प्रबंधन के एक गोदाम में पढ़ाई कर रहे हैं और मजबूरन शिक्षक भी बच्चों को यहीं पढ़ा रहे हैं.


छोटे से गोदाम में पढ़ने को मजबूर बच्चे 

आपको बता दें कि आपदा विभाग का ये पुराना जर्जर गोदाम वर्षों पुराना है. जिसमें 2010 से कटिहार जिले के मनिहारी बोलिया स्थित प्राथमिक विद्यालय ईद गाह पटनी में वर्ग 01 से 05 क्लास तक के 307 बच्चे पढ़ते हैं. जो पिछले 13 वर्षों से पढ़ाई कर रहे हैं. जब विद्यालय के शिक्षकों को इतने बच्चों को एक साथ एक कमरे में पढ़ाने में काफी परेशानी होने लगी तो शिक्षकों ने विद्यालय के समीप ही एक आपदा प्रबंधन के खाली जमीन पर एक अस्थाई कच्चा मकान बना लिया और उसी में एक से तीन वर्ग के बच्चों की पढ़ाई होती है. जबकि अभी भी चार और पांच वर्ग के बच्चों को उक्त आपदा विभाग के एक छोटे से गोदाम में पढ़ाया जाता है.

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