कभी भी हो सकती है बड़ी अनहोनी क्यूंकि यहां ट्रैक पर ट्रेन नहीं बल्कि चलते हैं बच्चे

जमुई : आंखों में भविष्य के सुनहरे सपने लिए जब बच्चे हर दिन घर से निकलते हैं, तो उनके माता-पिता को यही लगता है कि बच्चा स्कूल जाकर कुछ पढ़-लिख लेगा तो शायद अपना भविष्य सं’वार ले. लेकिन जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां बच्चे घर से स्कूल के लिए निकलते हैं, तो उनके माता-पिता को उनके भविष्य से अधिक उनकी जान का खतरा स’ताते रहता है. बच्चे अपनी जान हथेली पर रखकर कई हादसों की संभावनाओं के बीच स्कूल पहुंचते हैं. ऐसे में बच्चों के जीवन के साथ हो रहे इस खि’लवाड़ की जवाबदेही किन पर है और जवाबदेह आज तक इस मामले में कुछ क्यों नहीं कर रहे हैं यह एक बड़ा सवाल है. दरअसल, यह पूरा मा’मला जमुई जिला के बरहट प्रखंड क्षेत्र के बरियारपुर पंचायत के देवाचक गांव से जुड़ा है. जहां बच्चों को स्कूल जाने के लिए बड़े खतरों से गुजर कर अपने जीवन को रोजाना दांव पर लगाना पड़ता है.

आखिर क्यों रेलवे ट्रैक के बीच पत्थर बिछाए जाते हैं? ये है जवाब - Education AajTakबरहट प्रखंड अंतर्गत बरियारपुर पंचायत के देवाचक प्लस टू हाई स्कूल में प्रतिदिन दर्जनों की संख्या में बच्चे रेलवे ट्रैक को पार कर पहुंचते हैं. नई दिल्ली-हावड़ा मेल लाइन होने के कारण इस रेल लाइन से अक्सर कई तेज रफ्तार ट्रेन गुजरती है. बच्चे अपने रि’स्क पर रेलवे ट्रैक पार करते हैं. इस विद्यालय में बरियारपुर पंचायत के टोला कर्मन, रविदास टोला, बेलाबथान, कारीटांड़ गांव के दो दर्जन से भी अधिक बच्चों का नामांकन इस विद्यालय में किया गया है और प्रतिदिन 15 से अधिक बच्चे रेलवे ट्रैक पार कर विद्यालय पहुंचते हैं. लेकिन स्थिति यह है कि जिस वक्त बच्चे ट्रैक पार कर रहे होते हैं उसे वक्त ना तो कोई अभिभावक और ना ही बच्चों के परिजन उनके सुरक्षा में खड़े होते हैं.

लोगों के मन में रहता है डर
स्थानीय ग्रामीण आनंद कुमार ने बताया कि रेलवे ट्रैक के उस पार के इलाके में स्कूल नहीं रहने के कारण बच्चों को रेलवे की पटरी पार कर स्कूल जाना पड़ता है. ट्रैक के दूसरी तरफ कुछ साल पहले विद्यालय बनना शुरू हुआ था, लेकिन वह बंद क्यों हो गया आज तक पता नहीं चल सका है. उन्होंने बताया कि पहले भी इस ट्रैक पर कई बार घटनाएं घट चुकी है. यह नई दिल्ली से हावड़ा तक की मेन लाइन है. वहीं, छात्र शिवम कुमार, रितु कुमारी, चिंटू कुमार ने बताया रेलवे पटरी पार कर इस ओर पढ़ने के लिए आते हैं. बच्चों के जोखिम को देखते हुए अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई है. ना तो बच्चों के आने जाने वाले मार्ग पर समपार फाटक लगाया गया है और ना ही सुरक्षा के कोई इंतजामत किए गए हैं. जिस कारण देश का भविष्य कहे जाने वाले नौनिहालों के जीवन के ऊपर हमेशा खतरा मंडराता रहता है. वहीं, डीईओ का कहना है कि सर्वे कराकर इसकी जांच कराई जाएगी.

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