गोपालगंज. लोकआस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा को लेकर घाटों की सफाई का काम तेज हो गया है. गोपालगंज में नारायणी नदी, बाण गंगा और दाहा नदी के घाट पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु छठ पूजा पर भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं. महापर्व में इन घाटों का खास महत्व है. किदवंतियों के अनुसार भगवान श्रीराम जनकपुर से जब माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौट रहे थे. तब लक्ष्मण जी को प्यास लगी. लक्ष्मण जी ने पानी पीने के लिए बाण चलाई और धरती से पानी निकलने लगी.

नदी के उद्गम के बाद निरंतर पानी बहती है. इलाके के लोग बाण गंगा नदी के नाम से इसे जानते हैं, जो सीवान में जाकर दाहा नदी बनी और सरयू में मिल गयी. बाण गंगा नदी के घाट पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु छठ पूजा करने आते हैं. बिहार में लोकआस्था के महापर्व छठ को लेकर तैयारी तेज हो गई है.

इस बार सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ 17 नवंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा. इस दिन छठ व्रती चावल, कद्दू और चना दाल का प्रसाद ग्रहण करते हैं. वहीं 18 नवंबर को इस महापर्व के दूसरे दिन खरना का प्रसाद बनेगा. खरना के लिए विशेष तौर पर खीर और रोटी का प्रसाद बनाया जाता है. 19 नवंबर को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जाएगा, वहीं 20 नवंबर को उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद व्रती पारण करेंगे. इसके साथ हीं छठ का महापर्व समाप्त हो जाएगा. चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व की अपनी एक अलग महानता है और व्रत के सभी अलग-अलग दिनों का महत्व काफी खास है.